Hon'ble Chief Minister

श्री भजनलाल शर्मा

माननीय मुख्यमंत्री

Hon'ble Health Minister

श्री गजेन्द्र सिंह

माननीय चि. एवं स्वा. मंत्री

Facebook Twitter Youtube

Megamenu



पीपीपी

Card image

पीपीपी (सार्वजनिक निजी सहभागिता) मोड से संचालित

1. सीटी स्कैन मषीनः-

आमजन को निःशुल्क सीटी स्केन जाँच हेतु 29 राजकीय जिला चिकित्सालय एवं 1 उपजिला चिकित्सालय सोजतसिटी (पाली) में पीपीपी मोड पर सीटी स्कैन मशीन संचालित है।

2. एमआरआई मषीनः-

आमजन को निःशुल्क एमआरआई जाँच हेेतु 4 राजकीय जिला चिकित्सालय यथा अलवर, सीकर, भीलवाड़ा एवं कांवटिया (जयपुर) में एमआरआई मशीन पीपीपी मोड पर संचालित है।

3. हिमोडायलेसिस केन्द्रोंः-

आमजन को निःशुल्क हिमोडायलिसिस सुविधा राज्य के 34 जिला मुख्यालयों पर स्थित राजकीय चिकित्सालयों में पीपीपी मोड/विभाग द्वारा उपलब्ध कराई जा रही है। 

4. आईवीएफ केन्द्रों का संचालनः-

निःसन्तान दम्पत्ती को सस्ती आईवीएफ सुविधा उपलब्ध कराने केे उद्देष्य से 8 राजकीय चिकित्सालयों में आईवीएफ केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है।

ट्रोमा केयर फेसेलिटिज

Card image

वर्तमान स्थिति-

-- राजस्थान मे चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अन्तर्गत 93 ट्रोमा सेन्टर संचालित है। 

-- परिवहन विभाग के सहयोग से 99 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर प्राइमरी ट्रोमा सेन्टर संचालित हैं। 

-- उपलब्ध मानव संसाधन व उपकरणों द्वारा दुर्घटनाग्रस्त रोगियों को सेवाऐं दी जा रही हैं। 

राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम

Card image

वर्ष 1873 में नार्वे के वैज्ञानिक सर आरमर हेन्सन ने माइक्रोवैक्टी लैप्री बैसीलाईज की खोज की। यह बैसीलाईज आर्मडिल्लो के फुट पैड में करोड़ों की संख्या में पाये जाते है। भारत सरकार द्वारा देष में राष्ट्रीय कुष्ठ रोग नियन्त्रण कार्यक्रम वर्ष 1955 में लागू किया गया, जिसे राजस्थान में वर्ष 1970-71 में प्रारम्भ किया गया। वर्ष 1982 में मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) औषधि व्यापक रूप से उपयोग में लायी गयी। वर्ष 1983 में उक्त कार्यक्रम को ‘‘राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम’’ के रूप में शुरू किया गया। यह कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा लक्ष्य रहित कार्यक्रम है, परन्तु राज्य में कार्यक्रम के मूल्यांकन व कुष्ठ रोगियों की त्वरित खोज हेतु जिलों को लक्ष्य आवंटित किये जाते है।

कार्यक्रम के उद्देश्य

-- कुष्ठ रोग का प्राथमिक अवस्था में पहचान कर शीघ्र पूर्ण उपचार करना।

-- संक्रामक रोगियों का शीघ्र उपचार कर संक्रमण की रोकथाम।

-- नियमित उपचार द्वारा विकलांगता से बचाव।

-- विकृतियों का उपचार कर रोगियों को समाज का उपयोगी सदस्य बनाना।

-- स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा समाज में इस रोग के सम्बन्ध में फैली गलत भ्रान्तियों को दूर करना। 

राज्य में दिसम्बर, 2023 तक 1175 रोगी उपचार प्राप्त कर रहे है एवं राज्य की कुष्ठ रोग प्रसार दर  0.14 प्रति दस हजार जनसंख्या है। जबकि कुष्ठ रोग की राष्ट्रीय प्रसार दर 0.63 प्रति दस हजार जनसंख्या है। राज्य में कुष्ठ रोग की रोकथाम हेतु निम्नांकित उपाय किये जा रहे है:-

राज्य के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र/प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र व अन्य चिकित्सा संस्थानों में कार्यरत सभी चिकित्सा अधिकारियों, पैरा मेडिकल एवं मेडिकल स्टाफ को उक्त कार्यक्रम की बेसिक/ओरियंटेशन ट्रेनिंग देकर कार्यक्रम को अधिक गति देने हेतु तैयार किया गया है तथा सभी चिकित्सा संस्थानों पर निःशुल्क औषधि उपलब्ध करवाया जाना सुनिष्चित किया गया है।

मुख्य गतिविधियाॅं

-- कुष्ठ रोगियों की प्रारम्भिक अवस्था में खोज हेतु आषा सहयोगनियों को कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम से जोड़ा गया है, इन्हे रोग संबंधी प्रषिक्षण देकर कुष्ठ रोगी की खोज एवं उपचार दिलवाये जाने पर निम्नांनुसार मानदेय दिए जाने का प्रावधान है:-

(अ) नये कुष्ठ रोगी के रूप में जाॅंच कन्फर्म होने के बाद रजिस्ट्रेशन पर देय मानदेय (आषा सहयोगनी/आँगनबाडी कार्यकर्ता/स्वयंसेवक एवं अन्य किसी भी व्यक्ति)

i. दृष्य विकृति से पूर्व पहचान होने पर  - 250 रूपये

ii. हाथ, पैर व आँख में दृष्य विकृति पश्चात् पहचान होने पर- 200 रूपयेे 

(ब) पूर्ण उपचार पश्चात देय मानदेय (केवल आषा सहयोगनियों को ) 

i. पी.बी. केसेज के लिए  -  400/- रूपये 

ii. एम.बी. केसेज के लिए  - 600/- रूपये 

-- कुष्ठ रोगियों को निःशुल्क मल्टी ड्रग थेरेपी (एम.डी.टी.) औषधि, सहायक औषधियाॅ (वेसलीन, गाॅज, बेन्डेज, ऑइन्टमेन्ट, पेन किलर, एन्टीबायोटिक, एन्टी रिएक्सनरी आदि) तथा डी.पी.एम.आर- गोगल्स, एम.सी.आर. चप्पल, क्रेचेज, वाॅकिंग स्टिक आदि निःशुल्क उपलब्ध करवाये जाते है। 

-- समाज में कुष्ठ रोग संबंधी फैली गलत धारणाओं को दूर करने हेतु राज्य सरकार द्वारा विभिन्न प्रचार-प्रसार गतिविधियाॅ संपादित की जाती है, जैसे - नुक्कड नाटक, नारा लेखन, फ्लेक्स बेनर, पम्पलेट, टी.वी. स्पाॅट, होर्डिग, वाद विवाद प्रतियोगिता एवं आई.पी.सी. वर्कशॉप आदि।

-- चिकित्सा अधिकारी, पैरा मेडिकल स्टाफ एवं आषा सहयोगनियों को कुष्ठ रोग सम्बन्धी प्रषिक्षण नियमित रूप से आयोजित किए जा रहें हैं।

-- फोकस लेप्रोसी केम्पेन गतिविधि के तहत विकृति ग्रेड द्वितीय रोगी चिन्हित होने पर रोगी के आस-पास के शहरी क्षेत्र में 300 घरों का एवं ग्रामीण क्षेत्र में सम्पूर्ण गाँव का सर्वे करवाया जाता हैं।

-- विकलांगता की रोकथाम एवं चिकित्सा पुनर्वास गतिविधि (डीपीएमआर) के तहत रि-कन्स्ट्रेक्टिव करवाने वाले कुष्ठ रोगी 8000/- रूपये एवं रि-कन्स्ट्रेक्टिव सर्जरी करने वाले चिकित्सा संस्थान को 5000/- रूपये की प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किया गया है। जिसके अन्तर्गत वर्ष 2023-2024 (दिसम्बर, 2023) तक कुल 91 विकृति वाले कुष्ठ रोगियों की रि-कन्स्ट्रेक्टिव सर्जरी करवायी गयी।

-- Post Exposure Prophylaxis (PEP): इस गतिविधि के तहत नये कुष्ठ रोगी के सम्पर्क में आने वाले योग्यजन को कुष्ठ होने की सम्भावना से बचाने हेतु सिंगल डोज रिफापमिसिन (एस.डी.आर.) की एक खुराक दी जाती है।

-- कुष्ठ रोगी खोजी अभियान: समाज में छिपे हुए कुष्ठ रोगी को खोजने हेतु कुष्ठ रोगी खोजी अभियान के तहत घर-घर जाकर सर्वे कर समाज में छिपे हुए कुष्ठ रोगियों की खोज की जाती है।

स्पर्ष कुष्ठ जागरूकता अभियान (एन्टी लेप्रोसी पखवाडा) 

- उक्त अभियान दिनांक 30 जनवरी से 13 फरवरी तक चलाया जाता हैं।

- दिनांक 30 जनवरी को कुष्ठ दिवस पर विषेष ग्राम सभाओं का आयोजन कर कुष्ठ रोग के बारे में जानकारी एवं ग्राम सभा प्रमुख का अभिभाषण करवाया जाता हैं।

- उक्त अभियान के दौरान कुष्ठ रोग के प्रति जागरूकता लाने हेतु विभिन्न स्तरों पर प्रचार प्रसार गतिविधियाँ जैसे जिला कलेक्टरों द्वारा जनता के नाम संदेष, ग्राम सभायें, स्कूल क्विज, बेनर, पोस्टर, पम्पलेट, माईकिंग इत्यादि सम्पादित की जाती है। 

- पखवाडे के दौरान आषा एवं एएनएम के माध्यम से एम.बी. एवं चाईल्ड कैसेज के आस-पास के 50 घरों का सर्वे करवाया जाता हैं। 

कार्यक्रम की भौतिक प्रगति रिपोर्ट

वित्तीय वर्ष

नये  खोजे गये कुष्ठ रोगी 

उपचार पश्चात रोग मुक्त किये गए

प्रसार दर प्रति 10000 जनसंख्या

लक्ष्य 

प्राप्ति

% प्राप्ति

लक्ष्य प्राप्ति % प्राप्ति

राज्य

राष्ट्रीय

2020-2021

1120

625

55.80

1157

763

65.95

0.13

0.40

2021-2022

1000

858

85.80

1019

942

92.44

0.11

0.45

2022-2023

1000

1267

126.70

935

739

79.03

0.14

0.63

2023-2024

(दिसंबर 2023 तक)

1200

871

72.58

1151

847

73.59

0.14

0.63

कार्यक्रम के अन्तर्गत तीन विगत वर्षों में खोजे गये नये कुष्ठ रोगियों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं महिला रोगियों की संख्या 

वित्तीय वर्ष

राज्य में खोजे गए नये रोगी

पुरुष रोगी

महिला रोगी

महिला प्रतिशत

अनुसूचित जाति

अनुसूचित जनजाति

2020&2021

625

450

175

28-00

87

63

2021&2022

858

619

239

27-86

140

150

2022&2023

1267

916

351

27-70

175

161

2023&2024

(दिसंबर 2023 तक)

871

626

245

28-13

112

101

राष्ट्रीय अन्धता एवं दृष्टिक्षीणता नियंत्रण कार्यक्रम

Card image

अंधत्व (ब्लाइंडनेस) देश में जनस्वास्थ्य की प्रमुख समस्याओं में से एक है जिसकी संख्या तकरीबन 12 मिलियन है। सन् 1976 की संभावित अंधत्व दर 1.4 प्रतिशत से वर्ष 2020 में 0.30 प्रतिशत तक लाने के लिए नेत्र सुरक्षा सेवा हेतु संरचनात्मक, मानविकी संसाधनों में अभिवृद्धि की गई। सन् 1976 में राष्ट्रीय अंधता नियंत्रण कार्यक्रम की शुरूआत की गई। वर्ष 2007 के सर्वेक्षण के आधार पर अंधत्व की संभावित दर घटकर 1 प्रतिशत एवं 2015-19 के दरम्यान सीकर एवं सिरोही जिले एवं अन्य राज्यों के चुनिंदा जिलो में हुए सर्वेक्षण के आधार पर यह दर घटकर 0.36 प्रतिशत है। 

मोतियाबिन्द अंधत्व का एक मुख्य कारण है, जो कुल अंधत्व जनसंख्या (Blind Population) का दो-तिहाई भाग है। अंधत्व के अन्य प्रमुख कारण चाइल्डहुड ब्लाइंडनेस एवं लो-विजन, रिफ्रेक्टिव एरर, ग्लूकोमा, डायबिटिक रैटिनोपैथी, ओक्यूलर इंजरी, रैटिनोपैथी ऑफ प्रीमेच्योरिटी और काॅर्नियल ब्लाइंडनेस है।

उद्देष्यः

1. दृष्टि हानि के आंकलन के आधार पर प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक स्तर पर अंध व्यक्तियों की पहचान कर दूर करने योग्य अंधत्व को उपचार के माध्यम से दूर कर बैकलाॅग को कम करना। 

2. सर्वजन को वृहद स्तर पर गुणवत्ता पूर्ण नेत्र सुरक्षा सेवा प्रदान करने की रणनीति को विकसित एवं मजबूत कर दृष्टि हानि की रोकथाम करना। 

3. नेत्र सुरक्षा सेवा प्रदान करने वाले संस्थानों यथाः मेडीकल काॅलेज, जिला एवं उपजिला अस्पताल एवं अन्य सहयोगी प्राथमिक दृष्टि केन्द्रों में नेत्र विज्ञान की विभिन्न विधाओं में उत्कृष्टता हेतु नेत्र विज्ञान क्षेत्रीय संस्थान का सुदृढ़ीकरण और उन्नयन करना। 

4. जिलों में उपलब्ध संरचनात्मक नेत्र सुरक्षा सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण और उच्च स्तर की समेकित नेत्र सुरक्षा सेवा प्रदान करने के लिए अतिरिक्त मानवीय संसाधनों का विकास करना। 

5. विभिन्न समुदायों में नेत्र सुरक्षा एवं निवारक उपायों के बारे में जनजागरूकता बढ़ाना। 

6. अंधत्व अनुसंधान में अभिवृद्धि करना। 

7. स्वयं सेवी संस्थाओं /निजी चिकित्सकों द्वारा नेत्र सुरक्षा सेवा प्रदान करना। 

प्रमुख गतिविधियाॅं

मोतियाबिन्द ऑपरेशन: राज्य के राजकीय चिकित्सा संस्थानों यथा-मेडीकल काॅलेज/जिला/सैटेलाईट/ उपजिला अस्पताल एवं सीएचसी में निःशुल्क मोतियाबिन्द ऑपरेशन किया जाता है, साथ ही विभिन्न स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा विभिन्न स्थानों पर नेत्र रोग का परीक्षण कर स्वयं के मुख्य अस्पताल में निःशुल्क मोतियाबिन्द ऑपरेशन किया जाता है। वर्तमान में राजकीय चिकित्सा संस्थानों में राजस्थान मेडीकल रिलीफ सोसायटी को प्रति मोतियाबिन्द ऑपरेशन राशि रू. 1000/- और एनजीओ/प्राईवेट प्रेक्टिसनर्स द्वारा निःशुल्क मोतियाबिन्द ऑपरेशन करने पर अनुदान राशि रू. 2000/- पुनर्भरण राशि दिए जाने का प्रावधान है।

वित्तीय वर्ष

लक्ष्य

प्रगति

लक्ष्य प्रतिशत

2020&2021

3,30,000

114783

34-78

2021&2022

3,30,000

225182

68-24

2022&2023

3,08,700

314599

101-91

2023&2024
(दिसंबर, 2023 तक) अनंतिम 

3,70,500

222548

60-07

नेत्रदान केन्द्र, आई बैंक एवं नेत्र प्रत्यारोपण केन्द्रः राजकीय एवं निजी क्षेत्र में कार्यरत आई बैंक, मेडिकल काॅलेज, जिला चिकित्सालय और स्वयं सेवी संस्थाऐं आपसी समन्वय के साथ अधिक से अधिक काॅर्निया एकत्रित कर आई बैंक को भिजवाकर जरूरतमंद काॅर्नियल ब्लाईण्ड मरीजों को लाभान्वित किया जाता है। वर्तमान में राज्य में कुल 9 आई बैंक है जिनमे से 6 राजकीय क्षेत्र में (राजकीय मेडीकल काॅलेज, जयपुर, अजमेर, बीकानेर, कोटा, उदयपुर एवं जोधपुर) एवं 3 निजी क्षेत्र में (आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान, जयपुर, ग्लोबल आई बैंक-सिरोही, शंकरा आई हाॅस्पीटल- जयपुर) कार्यषील हैं। 24 नेत्रदान केन्द्र एवं 51 नेत्र प्रत्यारोपण केन्द्र है।

वित्तीय वर्ष 

लक्ष्य नेत्र संग्रहण 

प्रगति नेत्र संग्रहण

नेत्र प्रत्यारोपण

नेत्र संग्रहण की उपलब्धि का प्रतिशत

2020&2021

2000

928

752

46-40

2021&2022

2000

1501

1108

75-05

2022&2023

3000

2971

1935

99-03

2023&2024
(दिसंबर, 2023 तक) अनंतिम

3000

2430

1514

62-30

स्कूल आई स्क्रीनिंग कार्यक्रम: इस कार्यक्रम अन्तर्गत 6-18 आयु वर्ग के स्कूली बच्चों को निःशुल्क चष्मा वितरण किया जाता है।

वित्तीय वर्ष

स्क्रीनिंग किए बच्चों की संख्या

रिफ्रेक्टिव एरर
वाले बच्चों की संख्या

वितरित किये गये चश्मों का विवरण

लक्ष्य

वितरण

प्रतिशत

2020&2021

कोविड-19 संक्रमण के कारण विद्यालय बंद होने की स्थिति में स्कूली बच्चों की आँखों की जाँच एवं चश्मा  वितरण का कार्य नहीं हो पाया हैं।

2021&2022

325021

47987

65000

49804

76-62

2022&2023

950817

68904

65183

62961

96-59

2023&2024
(दिसंबर, 2023 तक) अनंतिम

स्कूल आई स्क्रीनिंग कार्यक्रम के तहत बच्चों को निःशुल्क चश्मा वितरण का कार्य प्रक्रियाधीन हैं

नजदीकी चश्मा वितरण कार्यक्रमः 45 वर्ष से अधिक आयुवर्ग के व्यक्तियों को पढ़ने वाले (नजदीकी) चश्मों का निःशुल्क वितरण करना।

अन्य नेत्र रोग उपचार सेवा

स्वयं सेवी संस्था (एनजीओ) और निजी चिकित्सकों द्वारा स्वयं के चिकित्सालय में अन्य नेत्र रोग का निःशुल्क इलाज करने पर अनुदान राशि दी जाती है।

-- डायबिटिक रेटिनोपैथी केस राशि रू. 2000/- 

-- ग्लूकोमा राशि रू. 2000/-

-- काॅर्नियल ट्रान्सप्लान्टेशन राशि रू. 7500/-

-- विट्रियो रेटिनल सर्जरी राशि रू. 10,000/-

-- चाइल्ड हुड ब्लाइण्डनेस राशि रू. 2000/- 

इसके लिए स्वंय सेवी संस्थाओ व प्राईवेट अस्पतालों के माध्यम से उक्त योजना का लाभ जन-सहयोग कोे देने हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है। 

महत्वपूर्ण दिवसः-

-- प्रतिवर्ष अक्टूबर माह के द्वितीय गुरूवार को विश्व दृष्टि दिवस मनाया जाता है।

-- प्रति वर्ष मार्च के द्वितीय सप्ताह में ग्लूकोमा सप्ताह मनाया जाता है। 

-- नेत्रदान पखवाड़ा प्रति वर्ष 25 अगस्त से 8 सितम्बर तक मनाया जाता है।

वित्तीय स्थिति - (राशि रूपये लाखों में)

वित्तीय वर्ष

पीआईपी आवंटन राशि

प्राप्त राशि

व्यय की गई राशि

2020&2021

3556-41

1042-35

685-33

2021&2022

3974-47

-

1638-53

2022&2023

4741-97

4741-97

1856-23

2023&2024
(दिसंबर, 2023 तक) अनंतिम

4766-97

2381-00

1818-33

राष्ट्रीय एड्स नियन्त्रण कार्यक्रम

Card image

राष्ट्रीय एड्स नियन्त्रण कार्यक्रम का क्रियान्वयन राज्य में राजस्थान स्टेट एड्स कन्ट्रोल सोसायटी के माध्यम से किया जा रहा है, जिसका लक्ष्य एड्स महामारी के प्रसार को रोकना एवं बढ़ती दर को कम करना है। 

राजस्थान स्टेट एड्स कन्ट्रोल सोसायटी की गतिविधियों द्वारा लक्ष्य प्राप्त करने हेतु वित्तीय वर्ष 2023-24 में किये गये कार्यो का विवरण निम्न प्रकार है:- 

1. गैर सरकारी संस्थाओं के माध्यम से संचालित लक्षित हस्तक्षेप परियोजनाऐं (TI): Core जनसंख्या जैसे महिला यौन कर्मियों, पुरूष का पुरूष के साथ यौन संबंध, सुई के जरिये साझा नशा करने वाले तथा ब्रिज जनसंख्या जैसे प्रवासी व ट्रकर्स के उच्च जोखिम व्यवहार को ध्यान में रखते हुये प्राथमिक रोकथाम को लक्ष्य मानकर एच.आई.वी. संक्रमण की रोकथाम हेतु यौन व्यवहार परिवर्तन के लिए परामर्ष, यौन रोग उपचार, निःशुल्क कण्डोम व सुई/सिरिंज वितरण इत्यादि कार्य विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से 44 लक्षित परियोजनाओं के माध्यम से किया जा रहा है। इन परियोजनाओं का मुख्य लक्ष्य उच्च जोखिम वर्ग के व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लाना है एवं आमजन में एच.आई.वी. संक्रमण के प्रवेश को रोकना है। इसके अतिरिक्त जयपुर, उदयपुर व अजमेर बस स्टेशन व रेलवे स्टेशन पर आवागमन वाले प्रवासियों की एचआईवी जागरुकता हेतु 03 ट्रांजिट इण्टरवेन्शन तथा 01 लिंक वर्कर भी गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से कार्यरत है।

2. यौन रोग उपचार एवं नियन्त्रण: राज्य में सभी मेडिकल काॅलेज द्वारा संचालित चिकित्सालयों, जिला मुख्यालयों एवं चयनित केन्द्रों के राजकीय अस्पतालों में 53 एस.टी.आई./आर.टी.आई. क्लिनिक कार्यरत है। इन सभी केन्द्रों पर यौन रोगियों को निःशुल्क परामर्श, जाँच एवं दवाईयाँ दी जा रही है। यौन रोगियों के समय पर इलाज नहीं करवाने की स्थिति में एच.आई.वी./एड्स होने की सम्भावना 10 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। अतः एच.आई.वी. संक्रमण के प्रसार को रोकने हेतु अधिक जोखिम वर्ग के लिये 41 एस.टी.डी. क्लिनिक, गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के माध्यम से कार्यरत हैं।

Total No. of STI/RTI Episodes managed at STD clinics

2023-24 (Upto December 2023)

Govt. STD Clinics

202197

NGO STD Clinics

23223

3. रक्त सुरक्षा: राज्य मेें 58 रक्त बैंक राज्य सरकार, 7 रक्त बैंक केन्द्र सरकार एवं 179 रक्त बैंक निजी क्षेत्र सहित कुल 244 रक्त बैंकों के माध्यम से जरूरतमंदों को सुरक्षित रक्त उपलब्ध करवाया जा रहा है।

Financial Year

Total Blood samples collection

Voluntary Blood Donation Collection

2023-24 (Upto December 2023)

600348

4494445 (75%)

इसके अतिरिक्त स्वैच्छिक/गैर सरकारी क्षेत्र में रक्त अवयव पृथक्कीकरण इकाईयों द्वारा रक्त अवयव उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। 

4. एकीकृत परामर्श एवं जाँच केन्द्र (ICTC): राज्य में 157 Stand alone ICTC सभी सरकारी मेडिकल काॅलेज, जिला चिकित्सालयों तथा अधिक एच.आई.वी. संक्रमण की दर वाले जिलों में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर 8 PPP Stand alone ICTC, 3231 Facility Integrated ICTC, 105 PPP ICTC एवं 151 CBS ICTC कार्यरत है। इन सभी केन्द्रों पर एच.आई.वी./एड्स सम्बन्धी जानकारी, परामर्श एवं जाँच की निःशुल्क सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इन केन्द्रों पर एच.आई.वी. संक्रमित महिला से नवजात शिशु में संक्रमण के रोकथाम हेतु गर्भवती महिला तथा शिशु को निःशुल्क दवा उपलब्ध कराई जाती है तथा स्वस्थ व सार्थक जीवन हेतु परामर्श व संदर्भ सेवाऐं उपलब्ध कराई जाती है।

Total HIV tests at ICTC during the Financial year 2023-24 (Upto December 2023)

Tested

HIV संक्रमित पाए गए व्यक्ति

संक्रमित प्रतिशत

SAICTC

FICTC

TOTAL

General Client

770547

1050140

1820687

5123

0.28%

Pregnant Women

418998

1110348

1529346

353

0.02%

5. कण्डोम प्रमोशन: सोसायटी द्वारा जनसामान्य के बीच कन्डोम उपलब्धता को सरल बनाने हेतु सभी एकीकृत परामर्श एवं जाँच केन्द्रों तथा गैर सरकारी संस्थाओं के माध्यम से संचालित, लक्षित हस्तक्षेप परियोजनाओं में निःशुल्क कण्डोम उपलब्ध कराये जाते है, साथ ही सोशियल मार्केटिंग के माध्यम से भी कण्डोम की उपलब्धता है। 

6. एच.आई.वी./एड्स एवं टी.बी. समन्वय कार्यक्रम (RNTCP): एचआईवी/एड्स रोगियों में टी.बी. होने की सम्भावना अधिक होती हैं इसलिए राष्ट्रीय एड्स नियन्त्रण कार्यक्रम एवं राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम में समन्वय हेतु विभिन्न स्तर पर कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है। कार्यषालाओं में उपलब्ध सुविधाओं से अवगत कराया जाता है, दोनों रोग से ग्रसित रोगियों का उपचार आपसी सहयोग/समन्वय द्वारा किया जाता है एवं आपसी रेफरल को बढ़ावा दिया जाता है। 

7. अवसरवादी संक्रमणों हेतु निःशुल्क औषधि वितरण: एड्स रोगियों को कम लागत वाली चिकित्सा की उपलब्धता के अन्र्तगत राज्य के चिकित्सा महाविद्यालयों व जिलास्तरीय अस्पतालों में एच.आई.वी./एड्स रोगियों में अवसरवादी संक्रमणों के निदान हेतु एच.आई.वी. पाॅजीटिव व्यक्तियों को बी.पी.एल. मानते हुए मुख्यमंत्री जीवन रक्षा कोष से निःशुल्क दवा वितरण व चिकित्सकीय जांॅच की व्यवस्था की गई है।

8. स्वास्थ्यकर्मियों हेतु बचाव: एच.आई.वी./एड्स रोगियों के उपचार के दौरान स्वास्थ्यकर्मियों को आकस्मिक एक्सपोजर के बाद एच.आई.वी. संक्रमण से बचाने हेतु एन्टीरिट्रो वायरल दवा की उपलब्धता (पी.ई.पी.) सभी  एच.आई.वी. जाँच केन्द्रों एवं चिकित्सा महाविद्यालयों एवं जिला अस्पतालों में सुनिश्चित कराई गई है। 

9. ए.आर.टी. सेन्टर: राज्य में 28 ए.आर.टी. सेन्टर एवं 8 पीपीपी ए.आर.टी. सेन्टर संचालित हैं इसके साथ ही  21 लिंक ए.आर.टी. सेन्टर भी कार्यरत है। जहाँ पर एड्स के मरीजों को एन्टी रिट्रो वायरल औषधियाँ निःशुल्क वितरित की जा रही हैं।

दिसम्बर 2023 तक ए.आर.वी. ड्रग ले रहे कुल व्यक्तियों की संख्या

पुरुष 

महिला 

बच्चे

अन्य

59656

29792

25651

4115

98

10. सेन्टीनल सर्वेलैन्स: निश्चित अवधि, जगह व नमूनों के आधार पर दो वित्तीय वर्षो में एक बार एच.आई.वी. संक्रमण की दर ज्ञात करने हेतु चिन्हित चिकित्सा संस्थानों/एन.जी.ओ./जेल में सेम्पल सर्वे तीन माह की अवधि के लिये करवाया जाता है।

  Sentinel Surveillance

2016-17

2018-19

2019-2020

2020-2021

2022-23

1

Prevalence in ANC Site

0.29%

0.14%

सर्विलांस क्रियान्वित नहीं हुआ

0-14%

नाको द्वारा सूचना अपेक्षित हैं।

2

Prevalence in FSW Site

1.40%

सर्विलांस क्रियान्वित नहीं हुआ नाको द्वारा सूचना अपेक्षित हैं।

3

Prevalence in MSM Site

4.80%

4

Prevalence in TG Site

2.80%

5

Prevalence in Migrant Site

0.80%

6

Prevalence in Trucker Site

0.40%

7

Prevalence in Prison Site

NA

0.50

0.70%

वित्तीय वर्ष 2022-23 का सर्विलांस 35 ए.एन.सी. साइट व 4 जेल साइट पर तीन माह के लिए चलाया गया, जिसके तहत् 15600 सेम्पल एच.आई.वी. व अन्य जाॅंच के लिए एकत्रित किये गये। वर्ष 2019-2020 में 3 जेल साइट पर सर्विलांस क्रियान्वित किया गया जिसके तहत प्रत्येक साइट से 400 सेम्पल एकत्रित किये। वित्तीय वर्ष 2020-21 का सर्विलांस 35 ए.एन.सी. व 3 जेल साइट पर तीन माह के लिये चलाया गया।

11. सूचना, शिक्षा व संचार: राष्ट्रीय एड्स नियन्त्रण कार्यक्रम के उद्देेश्यों को प्राप्त करने में सूचना, शिक्षा एवं संचार प्रभावी तथा कारगर उपकरण है। एड्स जागरूकता अभियानों को गति प्रदान करने के उद्देेश्य से प्रत्येक जिले में विभिन्न गतिविधियाँ सुचारू रूप से चलाई जा रही है। नेशनल एड्स कन्ट्रोल संगठन द्वारा निर्देशित विभिन्न दिवसों यथा रक्तदाता दिवस, स्वैच्छिक रक्तदान दिवस, विष्व युवा दिवस, विश्व एड्स दिवस इत्यादि राज्य एवं जिला स्तर पर रक्तदान षिविर विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम जैसेः- संगोष्ठियाॅं, पोस्टर, पेंटिंग प्रतियोगिता इत्यादि आयोजित किये जाते हैं।

प्रिन्ट एवं इलैक्ट्रोनिक माध्यम से (समाचार पत्र, रेडियो, दूरदर्शन) एड्स नियन्त्रण अभियान, प्रोमो, फोन इन प्रोग्राम द्वारा प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। लोक कलाकारों के माध्यम से स्थानीय भाषा में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन, पारम्परिक मेलों एवं त्यौहार में एड्स जन-चेतना हेतु कार्यक्रम प्रदर्शन एवं आई.ई.सी. सामग्री का वितरण किया जा रहा है।

राज्य के 32 जिलों के सरकारी एवं गैर सरकारी महाविद्यालयों के युवाओं में एच.आई.वी. के प्रति जागरूकता लाने के लिए राष्ट्रीय एड्स नियन्त्रण कार्यक्रम के माध्यम से रेड रिबन क्लब बनाए गए हैं। वर्तमान में राज्य में 715 रेड रिबन क्लब कार्यषील हैं एवं आउट ऑफ स्कूल यूथ कार्यक्रम के अन्तर्गत 33 जिलो मे 6425 पीयर एज्यूकेटर बनाये गये हैं। पीयर एज्यूकेटर द्वारा कॉलेजों में एच.आई.वी/एड्स एवं स्वैच्छिक रक्तदान की जानकारी प्रदान की जाती हैं।

12. EQAS (External Quality Assurance Scheme) के तहत् एच.आई.वी/एड्स सम्बन्धी जांच की गुणवत्ता को कायम रखने हेतु चिन्हित एस.आर.एल. में जाँच केन्द्र प्रभारी एवं तकनीशियनों को प्रशिक्षण दिया जाता है, साथ ही जाँच रिपोर्ट को क्वालिटी चेक हेतु स्टेट रेफरल लेबोरेट्री तथा नेशनल रेफरल लैबोरेट्री स्तर पर भेजे जाते है।

13. मुख्य धारा परियोजना: एच.आई.वी. मेनस्ट्रीमिंग एक ऐसी प्रक्रिया, जिसके द्वारा एच.आई.वी. विषय को समस्त विभागों, संस्थाओं द्वारा संचालित आन्तरिक व बाह्य विभिन्न कार्यक्रमों, गतिविधियों एवं नीतियों में शामिल किया जाता है। विषेषकर वहाँ, जहाँ एच.आई.वी. विषय पर साधारणतः बात नही की जाती हो। इस परियोजना के अन्तर्गत राज्य सरकार के विभिन्न विभागो के कर्मचारियों, फ्रन्टलाईन वर्कर्स (आंगनबाडी कार्यकर्ता, ए.एन.एम., स्वयं सहायता समूह एवं आषा) इण्डस्ट्रीज, पब्लिक सेक्टर यूनिट (पीएसयू) एवं गैर सरकारी संगठनो व सामुदायिक संगठनों आदि को एच.आई.वी./एड्स एवं मुख्यधारा विषय पर प्रशिक्षण दिया जाता है। इन प्रषिक्षणों में एच.आई.वी./एड्स, कलंक एवं भेदभाव कम करना, एचआईवी से जुडी सेवायें, यौन संचारित संक्रमण, स्वैच्छिक रक्तदान को बढावा एवं सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की जानकारी से सम्बन्धित विषय रखें जाते हैं। विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा अपने विभाग के अन्तर्गत एच.आई.वी./एड्स कमेटी का गठन भी किया गया है और  एच.आई.वी. विषय पाठ्यक्रम में जोड़ लिया गया है। टोल फ्री हैल्प लाईन नम्बर 1097 पर काॅल करने वाले लोगों को एचआईवी पर षिक्षित करने और परामर्ष देने के अलावा शिकायतें भी दर्ज की जाती हैं, जिनका सोसायटी द्वारा शीघ्रातिषीघ्र निराकरण किया जाता है। वित्तीय वर्ष 2023-2024 में 6258 प्रतिभागियों को मुख्यधारा के अन्तर्गत प्रषिक्षित किया गया। 

गत वर्षो में एड्स नियन्त्रण कार्यक्रम के अन्तर्गत संचालित विभिन्न इकाईयों की प्रगति:-

वर्ष

रक्त बैंकों के नमूने

रक्त पृथक्कीकरण इकाइयों द्वारा तैयार किये गये अवयव नमूने 

एकीकृत परामर्श एवं जाँच केंद्र

राजकीय एस.टी.डी. क्लीनिकों पर उपचारित किए गए एस्टिआई रोगियों की संख्या

रक्त संग्रहण 

नमूने जो एलीज जाँच में एचआईवी रिऐक्टिव पाये गये

जाँचे गए नमूने

एच.आई.वी. पाज़िटिव

2020

719398

590

1398590

2475276

4605

250248

2021

556382

468

1003054

1741507

3596

95887

2022

964600

837

1814279

3627063

6704

183185

2023

811446

1039

1608977

3615779

6955

204502

राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम

Card image

राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) :- राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के अन्तर्गत समस्त सम्भावित क्षय रोगियों की निःशुल्क जांच की जाती है एवं क्षय रोग पाये जाने पर स्वास्थ्यकर्मी की देखरेख में राज्य के समस्त चिकित्सा संस्थानों पर क्षय निरोधक औषधियों का प्रतिदिन निःशुल्क सेवन कराया जाता है।

निक्षय पोषण योजना (NPY) :- कार्यक्रम के तहत 01 नवम्बर 2024 से ईलाज ले रहे प्रत्येक रजिस्टर्ड क्षय रोगियों को निक्षय पोषण योजना (NPY) के तहत ईलाज अवधि के दौरान पौष्टिक आहार हेतु 1000/-रू. प्रतिमाह सीधे बैंक खाते में सहायता राशि दी जाती है।

टीबी मुक्त ग्राम पंचायत अभियान :- राज्य को टीबी मुक्त प्रदेश बनाने के लक्ष्य को अर्जित करने हेतु चिकित्सा विभाग द्वारा वर्ष 2023-24 में 7,200 ग्राम पंचायतों और शहरी वार्डों में "टीबी मुक्त ग्राम पंचायत" अभियान आयोजित किया गया और 586 ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त घोषित किया गया है।
वर्ष 2024-25 के लिए 9,325 ग्राम पंचायत/शहरी वार्डों को और वर्ष 2025-26 के लिए राज्य के समस्त ग्राम पंचायत/शहरी वार्डों को शामिल करने के लिए इस अभियान को बढ़ाया गया है। 

प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान (PMTBMBA)

टीबी सिर्फ एक शारीरिक बीमारी नहीं है, इसका रोगी और परिवार पर प्रतिकूल सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पड़ता है। इसलिए सामुदायिक समर्थन बहुत आवश्यक है। समर्थन निम्नलिखित तरीकों से बढ़ाया जा सकता है-

1. टीबी रोगियों और परिवारों के लिए सहायता प्रदान करने के लिए संसाधन जुटाना (पोषण, परामर्श और सामाजिक समर्थन के रूप में) ।

2. गुणवत्ता में सुधार के लिए टीबी रोगी/टीबी चैंपियंस द्वारा  प्रयासों का समर्थन।

3. इस पहल के तहत टीबी रोगियों और परिवारों को पोषण, निदान, व्यावसायिक और शैक्षिक सहायता प्रदान की जा सकती है।

4. समर्थन स्थायी होना चाहिए और परिवार को सक्षम बनाने का प्रयास करना चाहिए ।

सिलिकोसिस (Silicosis)

Card image

सिलिकोसिस व्यवसायिक जनित फेफडों का रोग है जो कि खान में काम करने वाले व्यक्तियों द्वारा श्वास लेने से क्रिस्टलीय सिलिका के कणों के फेफडों में एकत्र होने से होता है। रोगी को शुरूआत में श्वास लेने में परेशानी होती है। धीरे-धीरे श्वास में कठिनाई व खांसी लगातार बढती रहती है। सिलिकोसिस का कोई पूर्ण उपचार नहीं है, बचाव ही उपचार है। अतः रोगी को धूल के सम्पर्क में आने एवं धूम्रपान से बचना चाहिये, क्योंकि इससे रोग बढता है। रोकथाम इलाज से बेहतर है तथा इससे बचाव ही एकमात्र उपाय है। 

-- राज्य में सिलिकोसिस से 20 जिले एवं 34 ब्लाॅक प्रभावित है। प्रभावित जिलों के नाम अजमेर, अलवर, बांसवाडा, भरतपुर, भीलवाडा, बीकानेर, बून्दी, चित्तौडगढ, दौसा, धौलपुर, जयपुर, जैसलमेर, जालौर, झालावाड, जोधपुर, करौली, कोटा, नागौर, राजसमंद एवं उदयपुर है। 

-- राज्य के सभी 33 जिलों में सिलिकोसिस मरीज की पहचान एवं प्रमाण-पत्र देने हेतु प्रमाणीकरण का सरलीकरण सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा संचालित नये सिलिकोसिस पोर्टल पर कर दिया गया है, जो  1 मई, 2022 से राज्य में प्रारम्भ किया गया है एवं वर्तमान में सभी जिलों में कार्यरत हैं।

-- सिलिकोसिस प्रमाण पत्र के आधार पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के माध्यम से रोगी को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। सिलिकोसिस प्रभावित व्यक्तियों के हितार्थ राज्य सरकार द्वारा Policy on Pneumoconiosis including Silicosis Detection, Prevention, Control & Rehabilitation 2019 जारी की गई। नई पाॅलिसी के तहत सिलिकोसिस ग्रसित रोगी को चिन्ह्ति होने पर पुर्नवास सहायतार्थ 3 लाख रूपये, मृत्यु उपरान्त आश्रितों को 2 लाख रू. की आर्थिक सहायता एवं दिव्यांगता अनुसार पेंशन स्वीकृत की जाती है। अंतिम संस्कार हेतु 10 हजार रूपये की आर्थिक सहायता एवं पारिवारिक जीवन यापन हेतु विधवा पेंशन और अन्य लाभ प्रदान किये जाते है। 

-- वर्ष 2015-2023 तक राज्य में समस्त जिलों में सिलिकोसिस संभावित रोगी की जाॅच कर जिला/मेडिकल न्यूमोकोनिओसिस बोर्ड द्वारा (दिसम्बर 2023 तक) 40983 सिलिकोसिस प्रभावित मरीजों को प्रमाण-पत्र जारी किये जा चुके है। 

सभी सिलिकोसिस मरीजों को राजकीय अस्पतालों में निःशुल्क दवा योजना एवं निःशुल्क जांच योजना के तहत निःशुल्क इलाज की सुविधा उपलब्ध है

राष्ट्रीय वैक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम

Card image

राज्य में मलेरिया एवं अन्य मौसमी बीमारियों की रोकथाम तथा नियंत्रण हेतु राष्ट्रीय वैक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। वर्ष 2023 में 2.56 लाख अति संवेदनषील जनसंख्या क्षेत्र पर डीडीटी कीटनाषक का छिड़काव करवाया गया। 

-- दिनांक 15.05.2023 से 31.07.2023 तक कीटनाषक स्प्रे का प्रथम चक्र चलाया गया एवं दिनांक 01.08.2023 से 15.10.2023 तक द्वितीय चक्र चलाया गया। कीटनाषक का स्प्रे से अधिक एपीआई एवं मलेरिया से मृत्यु वाले अति-संवेदनषील क्षेत्रों में करवाया जाता है।

-- केमिकल कन्ट्रोल उपायों के तहत पेयजल टांकों में टेमीफाॅस (Temephos), जला हुआ तेल (MLO) कीटनाषक सतत् रूप से मच्छरों के प्रजनन स्थलों में मच्छरों की उत्पत्ति पर प्रभावी नियंत्रण हेतु काम में लिया जा रहा है।

-- मच्छरों के पनपने हेतु ऐसे पानी के स्त्रोत जिनमे लम्बे समय तक पानी भरा रहता है जैसे - कुऐं, बावडी, तालाब इत्यादि में लार्वीवोरस गम्बूषिया मछलियाॅं (बायोलोजिकल कन्ट्रोल) डाली जाती हैं।

-- राज्य के सभी मेडिकल काॅलेजों से सम्बद्व चिकित्सालयों एवं अन्य जिलों के सामान्य अस्पताल को शामिल करते हुए कुल 59 सेन्टीनल सेन्टर डेंगू एवं चिकनगुनिया के उपचार हेतु चिन्हित किए गए है, जिनमें डेंगू एवं चिकनगुनिया की जांच कर निःशुल्क इलाज किया जाता हैं। डेंगू एवं चिकनगुनिया ELISA के परीक्षण हेतु राष्ट्रीय वायरोलोजी संस्थान (NIV) पुणे के माध्यम से उक्त सेन्टीनल सेन्टरों को विशेष जाॅंच किट उपलब्ध कराए जाते हैं।

-- नई औषधि नीति के अनुसार मलेरिया पी.वी. केसेज को 14 दिन तक एवं पी. एफ. कैसेज हो तो 3 दिन तक कम्पलीट रेडिकल ट्रीटमेन्ट दिया जा रहा है एवं प्रत्येक पी.एफ. केस को ACT से उपचारित किया जा रहा है। इस हेतु आशा को 200 रुपये प्रति आर.टी. का इन्सेन्टिव दिया जा रहा है। मलेरिया के उपचार हेतु निःशुल्क औषधियां वितरित की जाती है। 

-- आई.ई.सी. की गतिविधियां जैसे पोस्टर, बैनर, ऑडियो व विडियो इत्यादि के माध्यम से जन समुदाय को मच्छर जनित बिमारियों के रोकथम व बचाव के उपायों के लिए प्रेरित किया जा रहा हैं।

मलेरिया रोग की तुलनात्मक विवरण तालिका (वर्ष 2020 से 2023 तक)

वर्ष

मलेरिया रोगी

पी.एफ. रोगी

मृत्यु

ए.बी.ई.आर.

2020

1276

114

0

7.40

2021

925

119

0

7.85

2022

1565

111

1

9.66

2023

2263

225

0

11.53

नोट :- मलेरिया कार्यक्रम कलेण्डर वर्ष (जनवरी से दिसम्बर) से संचालित होता है

डेंगू एवं चिकनगुनिया

Card image

यह वेक्टर जनित वायरल रोग है जो एडीस एजिप्टी नामक मच्छर के माध्यम से फैलता हैं। यह मच्छर घरेलू वातावरण में एवं आस-पास इकट्ठे साफ पानी में उत्पन्न होता है। डेंगू की रोकथाम हेतु मच्छर एवं लार्वा रोधी गतिविधियां तथा त्वरित जांच एवं उपचार गतिविधियां किया जाना आवष्यक है। इस हेतु राज्य सरकार ने वार्षिक कार्य योजना के तहत सभी जिलों में एवं चिकित्सा संस्थाओं को आवष्यक निर्देष जारी कियेे। 

आमजन को जाग्रत करने के लिए घरेलू स्तर पर डेंगू से बचाव के उपाय हेतु समाचार पत्रों, इलेक्ट्रोनिक मीडिया एवं होर्डिंग आदि के माध्यम से बचाव एवं उपचार की जानकारी दी गई। जनता को अपने घरो में सभी जगह पर साफ-सफाई का पूर्ण ध्यान रखनें, घरों के आस-पास पानी इकट्ठा नही होने देने एवं पुराने टायर, कबाड एवं कूलर व घरो में प्रयुक्त पानी की टंकियो की साप्ताहिक सफाई करने हेतु IEC गतिविधियां राज्य एवं जिला स्तर पर करवाई गई।

डेंगू केस पाये जाने पर रोगी के घर एवं उसके आस-पास के घरों में फोगिंग कार्य पायरेथ्रम 1 भाग एवं डीजल 19 भाग का मिश्रण बनाकर धुंए के रूप में फाॅगिंग मषीन द्वारा सम्पादित किया जाता है जिससे रोग से संक्रमित मच्छर को तत्काल मारा जा सके। 

राज्य के सभी मेडिकल काॅलेजों से सम्बद्ध चिकित्सालयों एवं अन्य जिलों के सामान्य अस्पताल को शामिल करते हुए कुल 59 सेन्टीनल सेन्टर डेंगू एवं चिकनगुनिया के उपचार हेतु चिन्हित किए गए है। डेंगू एवं चिकनगुनिया ELISA के परीक्षण हेतु राष्ट्रीय वायरोलोजी संस्थान (NIV) पुणे के माध्यम से उक्त सेन्टीनल सेन्टर को विशेष जांच किट उपलब्ध कराए जाते है।

माह जुलाई को डेंगू रोधी माह के रूप में मनाया जाता हैं।

डेंगू रोग की तुलनात्मक विवरण तालिका (वर्ष 2020 से 2023)

वर्ष 

रोगी 

मृत्यु 

2020

2023

5

2021

20141

62

2022

12979

10

2023

13924

14

चिकनगुनिया रोग की तुलनात्मक विवरण तालिका (वर्ष 2020से 2023)

वर्ष 

रोगी 

मृत्यु 

2020

1015

0

2021

1044

0

2022

186

0

2023

305

0

डेंगू एवं चिकनगुनिया कार्यक्रम कलेण्डर वर्ष (जनवरी से दिसम्बर) से संचालित होते है

राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियन्त्रण कार्यक्रम

Card image

विश्व भर में यह माना गया है कि आयोडीनयुक्त नमक के प्रयोग करने से आयोडीन की कमी से होने वाले विकारों से बचा जा सकता है। भारत विश्व में आयोडीन की कमी से प्रभावित प्रमुख राष्ट्रों में से एक है। आई.सी.एम.आर द्वारा किये गये अध्ययन से ज्ञात होता है कि कोई राज्य ऐसा नहीं है जहाँ आई.डी.डी. से प्रभावित व्यक्ति न हो।

सन् 1992 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय घेधा नियन्त्रण कार्यक्रम का नाम बदलकर राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियन्त्रण कार्यक्रम रख दिया। राज्य सरकार ने 5 दिसम्बर 1992 को आदेश जारी कर खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954 के अन्तर्गत आयोडीन रहित खाने योग्य नमक के प्रयोग पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी। राज्य में 1993-94 में इस कार्यक्रम की शुरूआत निदेशालय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं में आईडी डी. सैल की स्थापना के साथ की गई।

नमक के आयोडीनिकीकरण की योजना

भारत सरकार ने सन् 1954 में प्रोफेसर वी. रामालिंगास्वामी द्वारा अनुसंधान कराया गया। तब यह पता चला कि धेधा रोग भारत में सभी राज्यों में पाया जाता है। भारत सरकार ने सर्वप्रथम 1962 में राष्ट्रीय घेघा नियन्त्रण कार्यक्रम शुरू किया गया। इस कार्यक्रम की महत्वता को देखते हुए सन् 1986 में इसे माननीय प्रधानमंत्री जी के 20 सूत्री कार्यक्रम में शामिल किया गया। सन 1988 में खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम में संशोधन करके उनमें इस नियम को शामिल किया गया कि उत्पादन स्तर पर नमक में आयोडीन की मात्रा 30 पी.पी.एम. व फुटकर बिक्री के समय 15 पी पी एम. से कम नहीं होनी चाहिए।

आयोडीन की शरीर में आवश्यकता

आयोडीन शरीर के लिए आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व हैं। प्रत्येक व्यक्ति को शारीरिक एवं मानसिक विकास हेतु 150 माईक्रोम आयोडीन की प्रतिदिन आवश्यकता होती है। यह माना जाता है कि प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, वनों के उजड़ने से खाद्य पदार्थों में आयोडीन की मात्रा कम हो गई हैं। इसकी पूर्ति नियमित रूप से आयोडीन युक्त नमक के सेवन से हो सकती है। आयोडीन को नमक में मिलाने से गंध, स्वाद व रंग में कोई परिवर्तन नहीं होता हैं। आयोडीन को सिर्फ नमक में इसलिए मिलाया जाता है कि नमक में आयोडीन मिलाने का खर्चा बहुत कम होता हैं और हर तबके अर्थात गरीब से गरीब और अमीर से अमीर व्यक्ति रोजाना नमक का सेवन करता है। इसके अतिरिक्त महिलाओं में गर्भपात व वयस्को में ऊर्जा की कमी, जल्दी थकावट आदि विकार भी आयोडीन की कमी से हो सकते हैं।

कार्यक्रम का लक्ष्य

राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियन्त्रण कार्यक्रम के अन्तर्गत भारत सरकार का मुख्य उद्देश्य घेघा रोग की दर ऐनडेमिक जिलों में 10 प्रतिशत से कम होनी चाहिए।

भारत सरकार द्वारा कार्यक्रम के निम्न उद्देश्य निर्धारित किये गये हैं-

-- सर्वे द्वारा आई.डी.डी की स्थिति की जानकारी रखना।

-- साधारण नमक के स्थान पर आयोडीनयुक्त नमक की उपलब्धता को सुनिश्चित करना।

-- पाँच वर्ष पश्चात् पुनः सर्वे के द्वारा आई.डी डी. का सर्वे करवाना एवं आयोडीनयुक्त नमक के प्रभाव की जानकारी प्राप्त करना।

-- प्रयोगशाला में मूत्र एवं आयोडीनयुक्त नमक में आयोडिन की मात्रा की जांच करना।

-- स्वास्थ्य शिक्षा देना।

संगठनात्मक ढाँचा

इस कार्यक्रम को सुचारू रूप से क्रियान्वित करने हेतु राज्य स्तर पर अतिरिक्त निदेशक (ग्रामीण स्वास्थ्य) के अधीन राज्य नोडल अधिकारी (एनआईडीडीसीपी) कार्यरत हैं एवं जिला स्तर पर इस कार्यक्रम के संचालन हेतु प्रभारी अधिकारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को नियुक्त किया गया हैं।

भौतिक उपलब्धियों

वर्ष

एफ.एस.एस. ऐक्ट के अन्तर्गत लिए गए नमूने

सब स्टैन्डर्ड / अन्सेफ / मिसब्रांडेड / अन्य के आयोडीन रहित पाये  गये नमूने

नॉन एफ.एस.एस. ऐक्ट के अन्तर्गत लिए गए नमूनों की संख्या

आयोडीन रहित

15 पी.पी.एम. से कम

15 पी.पी.एम. से अधिक

2020

121

15

383

31018

284649

2021

123

16

57

16118

150660

2022

226

42

221

23584

184190

2023
(दिसम्बर, तक)

415

37

467

21592

282724

स्वास्थ्य शिक्षा और प्रस्तावित गतिविधियों

वर्ष

वृहद सभाओं की संख्या

ग्रुप सभाओं की संख्या

स्कूलों में आयोजित स्वास्थ्य कार्यक्रमों की संख्या

आई.ई.सी. गतिविधियां

2020

12678

10954

4305

2001

2021

7640

5431

2606

5334

2022

6671

6290

4086

1394

2023
(दिसंबर तक)

8981

7112

4748

591

प्रत्येक वर्ष 21 अक्टूबर को राज्य के समस्त जिलों में ग्लोबल आई.डी.डी. दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विभिन्न प्रकार की गतिविधियों जैसे सेमिनार, कार्यशालाएँ, रैली, प्रतियोगिताएँ आदि का आयोजन किया गया है। राज्य स्तर पर जयपुर शहर के स्लम एरिया में, आर सी.एच. सेन्टर एवं डिस्ट्रिट हैल्थ सेन्टर (डीएचसी) के प्रभारियों के सहयोग से चयनित स्कूली बच्चों को आईईसी गतिविधियों के माध्यम से आयोडीनयुक्त नमक की उपयोगिता हेतु जागरूक किया जा रहा हैं।

हमारे लिए यह गर्व की बात है कि राजस्थान देश में नमक का द्वितीय सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है इसलिए भारत सरकार द्वारा क्षेत्रीय नमक आयुक्त कार्यालय की स्थापना जयपुर में की गयी। राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियन्त्रण कार्यक्रम के तहत् राज्य में नमक निर्माता, नमक विक्रेता, नमक ट्रांसपोर्टर को आयोडीन के बारे में जागरूकता हेतु अजमेर, बीकानेर, उदयपुर, भरतपुर, फलौदी (जोधपुर) एवं नांवा (नागौर) में कार्यशालाऐं आयोजित की गई, जिनमे नमक व्यापारियों को भी शामिल किया गया था।

वर्ष 2023 में सॉल्ट टेस्टिंग किट के द्वारा नमक के लिये गये नमूनों की जांच के अनुसार राजस्थान राज्य में 92.6 प्रतिशत आयोडीनयुक्त नमक मानक स्तर का पाया गया हैं।

वर्ष 2023 की स्थिति आगामी कार्य योजना

राजस्थान राज्य में वर्ष 2023 में खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम (एफएसएसए एक्ट) के तहत् दिसम्बर, 2023 तक 467 नमूनें लिये गये जिनमें से सब स्टैन्डर्ड / अनसेफ / मिस ब्रान्डेड/अन्य के 37 नमूने पाये गये। नॉन एफएसएसए एक्ट के अन्तर्गत वर्ष 2023 में दिसम्बर, 2023 तक कुल-304783 नमूनें लिये गये, जिसमें से आयोडीन रहित-467, 15 पीपीएम से कम-21592 एवं 15 पीपीएम से अधिक-282724 नमूने पाये गये।

नमक उत्पादक फैक्ट्रियों की जांच कर सम्पूर्ण नमक में आयोडीन की उपलब्धता सुनिश्चित कराना जिससे कि विक्रय हेतु आयोडीनयुक्त नमक ही उपलब्ध हो।

वित्तीय:
वित्तीय वर्ष 2023-24 हेतु एनआरएचएम से प्राप्त बजट का विवरण :-

FMR Code

Scheme/ Activity

Budget Head

Received Amount
(Rs in lac)

RCH.8

Implementation of NIDDCP

Diagnostics (Consumables, PPP, Sample Transport)

1.20

IEC & Printing

12.90

 

 

Total

14.10

राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम

Card image

Global Adult Tabacco Survey, 2016-17 के अनुसार राज्य में 24.7 प्रतिषत वयस्क लोग किसी न किसी रूप में तम्बाकू उत्पादों का सेवन करते हैं। राज्य में तम्बाकू के उपभाग में कमी लाने के लिए तम्बाकू उत्पादों के दुष्प्रभावों के सम्बन्ध में जन जागरूकता तथा तम्बाकू नियंत्रण कानून की क्रियान्विति के उद्देष्य से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा हैं।

कार्यक्रम अन्तर्गत भारत सरकार के दिषा निर्देशानुसार 31 मई से 31 जुलाई 2023 तक सम्पूर्ण भारत में ’’टोबैको फ्री यूथ कैंम्पेन’’ आयोजित किया गया जिसके अन्तर्गत राज्य में उल्लेखनीय तम्बाकू नियंत्रण गतिविधियां आयोजित करने पर राज्य को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। इस हेतु भारत सरकार के द्वारा राजस्थान सरकार को "टोबैको कन्ट्रोल एक्सीलेन्स अवार्ड" से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम के अन्तर्गत अर्जित की गई उपलब्धियाँ
1- कार्यक्रम अन्तर्गत 1.14 लाख शिक्षण संस्थानों में कुल 90.96 लाख विद्यार्थियों के द्वारा तम्बाकू निषेध की शपथ ग्रहण की गई।
2- शिक्षण संस्थानों में आयोजित 80768 रैली / दौड आयोजित की गई जिनमें कुल 43.67 लाख विद्यार्थियों के द्वारा भाग लिया गया।
3- शिक्षण संस्थानों में कुल 79134 प्रतियोगिताऐं आयोजित किए गए जिसमें 25.96 लाख विद्यार्थियों के द्वारा भाग लिया गया।
4- कुल 96723 शिक्षण संस्थान तम्बाकू मुक्त घोषित किए गए।
5- कुल 1.42 लाख सेन्सेटाइजेषन कार्यक्रम आयोजित किए गए जिसमें 20.74 लाख प्रतिभागियों के द्वारा भाग लिया गया।
6- कुल 1.99 लाख जागरूकता कार्यक्रम में कुल 20.50 लाख प्रतिभागियों के द्वारा भाग लिया गया।
7- सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम, 2003 की धारा 4 व 6 के अन्तर्गत कुल 1.54 लाख चालान किए गए।
8- कुल 10430 ग्राम पंचायतों के द्वारा ग्राम सभा की बैठक में तम्बाकू निषेध के प्रस्ताव पारित किए गए।
9- कुल 49,617 विद्यालय जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए।
10- तम्बाकू मुक्ति के लिए कुल 22,460 लोगों की काउन्सिलिंग की गई तथा कुल 9396 लोगों का तम्बाकू मुक्ति उपचार किया गया।
11- स्कूल शिक्षा विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ‘नो बैग डे‘ कैम्पेन के अन्तर्गत 02.09.23 तथा 02.12.23 को स्कूलों में तम्बाकू निषेध गतिविधियां आयोजित की गयी जिनमें क्रमशः 70.28 लाख तथा 63.04 लाख विद्यार्थियों द्वारा भाग लिया गया।

वित्तीय प्रगति (1 अप्रेल से 31 दिसम्बर, 2023)
कार्यक्रम के अन्तर्गत स्वीकृत राषि रूपये 686.22 लाख में से 348.05 लाख का उपयोग कर लिया गया हैं।

आगामी कार्य योजना
तम्बाकू उपभोगियो के उपचार को सुदृढ़ करने के लिए विष्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से समस्त कम्यूनिटी हैल्थ ऑफिसर (लगभग 7000) को वर्ष 2024 में तम्बाकू मुक्ति उपचार एवं परामर्श में प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि डिजिटल सर्वे में पहचान किए गए तम्बाकू उपभोगियों को उनके निवास के नजदीक ही उपचार एवं परामर्ष प्राप्त हो सकें।

तम्बाकू उपभोगियों के उपचार के लिए निकोटाइन रिप्लेसमेंट थैरेपी (NRT) को निःशुल्क दवा योजना में शामिल कर लिया गया हैं। आगामी वित्तीय वर्ष में इस दवा की निःशुल्क उपलब्धता सुनिष्चित की जाएगी।

राष्ट्रीय गैर संचारी रोग नियन्त्रण एवं बचाव कार्यक्रम (NP-NCD) एवं नेशनल प्रोग्राम ऑन क्लाईमेन्ट चेन्ज एण्ड हृमन हैल्थ (एनपीसीसीएचएच)

Card image

वर्तमान में WHO Contrary Profile के अनुसार 60 प्रतिशत से अधिक मृत्यु का कारण गैर संचारी रोग है। गैर संचारी रोग से होने वाली मृत्यु का मुख्यतयः कारण जीवन शैली एवं खान-पान में बदलाव, गैर संचारी रोग के निदान एवं Continuum of Care का अभाव होना है। इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम के अन्तर्गत की जाने वाली गतिविधियां निम्नानुसार है:-

1. आईईसी, बीसीसी एवं परामर्श के माध्यम से आमजन को बेहतर जीवन शैली अपनाने एवं स्वस्थकारी खान-पान के संबंध में जानकारी / प्रोत्साहन दिया जाना है।

2. प्रारम्भिक अवस्था में निदान हेतु जनसंख्या आधारित एनसीडी स्क्रीनिंग एवं चिकित्सालयों में Opportunistic NCD Screening की जाती है।

जनसंख्या आधारित एनसीडी स्क्रीनिंग (आउटरिच कैम्प) की भौतिक प्रगति निम्नानुसार है:-

वित्तीय वर्ष 2023-2024 (April to Dec. 2023)

वार्षिक लक्ष्य (30+ जनसंख्या)

एनसीडी स्क्रीनिंग

डायबिटिज

हाईपरटेंशन 

डायबिटिज एवं हाईपरटेंशन 

कॉमन कैंसर के संभावित मरीज

फॉलोअप 

28966190

4358497

381808

720486

145855

8837

1101682

चिकित्सालयों में Opportunistic NCD Screening की भौतिक प्रगति निम्नानुसार है:-

वित्तीय वर्ष 2023-2024 (April to Dec. 2023)

वार्षिक लक्ष्य (30+ जनसंख्या)

एनसीडी स्क्रीनिंग

डायबिटिज

हाईपरटेंशन 

डायबिटिज एवं हाईपरटेंशन 

कॉमन कैंसर के मरीज

नये पाए गए मरीजों का उपचार प्रारंभ कर दिया गया

काउन्सलिंग

फिजियोथेरेपी

फॉलोअप 

28966190

4358497

381808

720486

145855

8837

8837

8837

8837

1101682

 

3. गैर संचारी रोग के मरीजों के नियमित उपचार (continuum of Care) हेतु फॉलोअप किया जाता है। भारत सरकार द्वारा वर्ष 2025 तक मधुमेह एवं उच्च रक्तचाप के 29 लाख मरीजों को चिन्हित कर Continuum of Care का लक्ष्य दिया गया है। इस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु 500 दिवसीय कार्ययोजना बनाई गई है।

4. कॉर्डियक केयर यूनिट (सीसीयू) :- भारत सरकार से प्राप्त स्वीकृति के अनुसार राज्य के 8 जिलों के जिला चिकित्सालय (भीलवाड़ा, जैसलमेर, जोधपुर बीकानेर, बाड़मेर, नागौर, श्रीगंगानगर एवं चूरू) में 2-4 शैय्याओं वाले कॉर्डियक केयर यूनिट (सीसीयू) का संचालन किया जा रहा हैं। जहां सीवीडी एवं स्ट्रोक के मरीजों को आवश्यकतानुसार भर्ती कर उपचार दिया जा रहा हैं:-

2023-2024 (April to Dec. 2023)

CVD

Stroke

2232

356

5. जिला कैंसर केयर कार्यक्रम :- कैंसर मरीजों की विशेष चिकित्सकीय देखभाल हेतु जिला चिकित्सालयों पर कैंसर केयर यूनिट स्थापित हैं जहां प्रशिक्षित चिकित्सक टीम के द्वारा कैंसर मरीजों की जांच, निदान, किमोथेरेपी, पेलेटिव केयर, परामर्श एवं रेफरल आदि सुविधा उपलब्ध करायी जा रही हैं, प्रगति निम्न प्रकार हैं:-

2023-2024 (April 2023 to Dec. 2023)

OPD

Cancer Patient

IPD

IV Chemotherapy

Oral Chemotherapy

Palliative Care

30458

3372

14879

12535

3062

5491

6. प्रधानमंत्री नेशनल डायलिसिस कार्यक्रम के अन्तर्गत राज्य के 33 जिलों में हिमोडायलिसिस सुविधा सचालित है जिसमें भीलवाड़ा, भरतपुर, पाली, नाथद्वारा (राजसमंद) एवं केकड़ी में विभाग एवं झालावाड में CSR के तहत् चिकित्सा शिक्षा विभाग के द्वारा तथा शेष जिलों में निजी जनसहभागिता के माध्यम से हिमोडायलिसिस सुविधा उपलब्ध है। उक्त 35 डायलिसिस केन्द्रों पर कुल 123 से अधिक मशीन Functional हैं।

 

2023-2024 (April 2023 to Nov. 2023)

Cumulative No. of Patients Registered

Cumulative No. of Dialysis Sessions held

7689

59669

राज्य के 50 बेड से अधिक क्षमता वाले 182 चिकित्सा संस्थानों यथा जिला चिकित्सालय, उपजिला चिकित्सालय एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर दो-दो हिमोडायलिसिस मशीन, 1 आरओ प्लाट, 2 एसी एवं 2 हिमोडायलिसिस बेड की आपूर्ति किये जाने हेतु आरएमएससीएल को प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी की जा चुकी हैं। उक्त केन्द्रों पर हीमोडायलिसिस सुविधा शीघ्र प्रारम्भ की जावेगी।

7. पेरिटोनियल डायलिसिस :- गुर्दे के मरीजों को घर पर ही डायलिसिस सुविधा उपलब्ध कराने हेतु पैरिटोनियल डायलिसिस कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है जिसके अन्तर्गत पीडी फ्लूड एवं अन्य कन्ज्यूमेबल आईटम के क्रय की दर आरएमएससीएल के स्तर से नियत कर दी गई है तथा पेरिटोनियल डायलिसिस हेतु पीडी फ्लूड की सप्लाई मेडिकल कॉलेज चिकित्सालयों में उपलब्ध करवाई गई है।

8. कैंसर रजिस्ट्री सिस्टम (नवाचार) :- राज्य में कैंसर रोगियों का प्रमाणित डाटा उपलब्ध हो इस हेतु भारत सरकार के सहयोग से राज्य में कैंसर रजिस्ट्री सिस्टम प्रारम्भ किया गया है ताकि विभिन्न तरह के कैंसर रोगियों की प्रिविलेन्स ज्ञात होने पर बेहतर योजना तैयार की जा सकें। कैंसर रजिस्ट्री की क्रियान्विति हेतु ICMR-NCDIR Banglore से एमओयू किया गया है। वर्तमान में 135 से अधिक चिकित्सालयों को पंजीकृत कर लिया गया है तथा पंजीकरण की कार्यवाही निरन्तर जारी है।


नेशनल प्रोग्राम ऑन क्लाईमेन्ट चेन्ज एण्ड हूमन हैल्थ (एनपीसीसीएचएच)

संयुक्त राष्ट्र संघ ने वायु प्रदुषण को मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा पर्यावरणीय खतरा / वैश्विक स्तर पर बीमारियों एवं मृत्यु का मुख्य परिहार्य कारण माना है। विश्व स्वास्थ्य संगठनों के अनुसार दुनिया की आधी से अधिक आबादी प्रदुषित हवा में सांस ले रही है तथा वायु प्रदुषण के कारण प्रतिवर्ष 70 लाख लोगों की मृत्यु हो रही है जिसमें से 90 प्रतिशत निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों के होते है। इसी परिप्रेक्ष्य में आमजन में "स्वच्छ वायु-बढ़ाए आयु" जैसी भावनाएं विकसित कर जनजागरूकता एवं प्रचार-प्रसार गतिविधियों को सम्मिलित करते हुए भारत सरकार के माध्यम से राज्य में "नेशनल प्रोग्राम ऑन क्लाईमेन्ट चेन्ज एण्ड हूमन हैल्थ (एनपीसीसीएचएच)" प्रोग्राम संचालित है।

National Program on Climate Change and Human Health (NPCCHH) कार्यक्रम के अन्तर्गत पर्यावरण से संबंधित, Heat Waves, Cold Wave, Flooding, Food Insecurity, Vector and Waterborne Disease से संबंधित ह्यूमन हैल्थ पर पडने वाले प्रभाव को नियंत्रण कर इससे होने वाली मृत्यु को कम किया जा सके, इस दिशा में कार्य किया जा रहा है।

• कार्यक्रम के अन्तर्गत सेन्टिनल सर्विलेन्स के रूप में 5 जिले यथा जयपुर, अलवर, कोटा, उदयपुर एवं जोधपुर चिन्हित कर लिये गये है जिसके आधार पर जलवायु परिवर्तन से मानव स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभाव का आंकलन किया जायेगा। इस हेतु कार्यक्रम के अन्तर्गत चिकित्सकों का सेन्सिटाईजेशन प्रशिक्षण करवाया गया है।

• इस कार्यक्रम के अन्तर्गत चिकित्सालयों में सोलर पैनल एवं एलईडी लाईट लगाई जा रही है।

राष्ट्रीय वृद्धजन सेवा कार्यक्रम (NPHCE)

राष्ट्रीय वृद्धजन सेवा कार्यक्रम (NPHCE) वित्तीय वर्ष 2020-21 से राज्य के समस्त जिलों में संचालित हैं, जिसमें 10 बेड का जेरिएट्रिक वार्ड बनाया गया हैं व पृथक रूप से Rehabilitation Services दी जा रही है। Rehabilitation Services के लिए आवश्यक Rehabilitation Instruments भी उपलब्ध करवाये गये हैं। वरिष्ठ नागरिकों के हितार्थ वर्तमान में चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अर्न्तगत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा National Program For Health Care of Elderly (एनपीएचसीई) कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

बुजुर्गों की स्वास्थ्य देखभाल के लिए राष्ट्रीय कार्यकम (NPHCE) स्थापित करने के लिए एक प्रयास है। वृद्धजनों की मुख्य बीमारियाँ - खाँसी, जोड़ों का दर्द, रक्तचाप, बवासीर, मूत्र संबंधी समस्याएं, मधुमेह और कैंसर, विकलांग दृश्य, श्रवण, भाषण, लोकोमोटिव ओर स्मृति लोप आदि बीमारियों का उपचार/प्रबंधन भी महगा है, विशेष रूप से कैंसर के उपचार, संयुक्त प्रतिस्थापना, हृदय शल्य चिकित्सा, न्यूरोसर्जिकल प्रक्रियाओं आदि।

उद्देश्य :-
1. कम्यूनिटी बेस्ड प्राईमरी हेल्थ केयर के माध्यम से वृद्धजनों 60 वर्ष से अधिक लोगो की आबादी पर जोर देने के साथ समुदाय आधारित प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल दृष्टिकोण के माध्यम से बुजुर्गों को प्रचार, निवारक, उपचारात्मक और पुनर्वास सेवाएं उपलब्ध कराना। 75 वर्ष से अधिक वृद्धजनों पर विशेष ध्यान देना।

2. बुजर्गों में स्वास्थ्य समस्याओं की पहचान करना और एक मजबूत रेफरल सुविधाएं प्रदान करना।

3. मेडिकल और पैरा मेडिकल स्टाफ को वृद्धजनों के स्वास्थ्य देखभाल हेतु प्रशिक्षण देना।

4. जिला अस्पतालों और क्षेत्रीय चिकित्सा संस्थानों के माध्यम से बुजुर्ग रोगियों को रेफरल सेवाएं प्रदान करना।

5. राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, आयुष और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय जैसे अन्य विभागों के साथ समन्वय स्थापित करना।

इस कार्यक्रम के अन्तर्गत निम्न सुविधा प्रदान की जाती हैः-

क्र.स. संस्थान का नाम स्वास्थ्य सुविधा

1

जिला अस्पताल

पीएचसी / सीएचसी और अन्य साइटोंमेंजेरिएट्रिक सेवाओं के लिए शिविरों का आयोजन। नियमित रूप से बुजुर्गों के लिए समर्पित ओपीडी सेवाओं के लिए जेरिएट्रिक क्लिनिक। जेरिएट्रिक चिकित्सा और स्वास्थ्य समस्याओं के लिए प्रयोगशाला जांच की सुविधा। बुजुर्गों की इनडोर देखभाल के लिए दस बेड वाला जेरिएट्रिक वार्ड। मौजूदा सुविधायें जैसे जनरल मेडिसिन ऑर्थोपेडिक्स, नेत्र रोग, स्त्री रोग, ईएनटी सेवा, एनपीसीडीसीएस के तहत सीसीयू आदि सेवाए बुजुर्ग रोगियों के लिए प्रदान करना। सीएचसी/पीएचसी से रेफर किये गये वृद्धजनों को सेवाएं प्रदान करना। गंभीर बीमारियों से ग्रस्त वृद्धजनों को तृतीयक स्तर के अस्पतालों में रेफरल सुविधायें प्रदान करना।

2 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पीएचसी से बुजुर्गों के लिए पहली रेफरल यूनिट (एफआरयू)। बुजुर्ग व्यक्तियों के लिए जेरिएट्रिक क्लिनिक सप्ताह में दो बार सोमवार ओर शुक्रवार को। फिजियोथेरपी और परामर्श के लिए पुनर्वास इकाई। बेड रिडन बुजुर्गों के लिए रिहेबिलिटेशन कार्यकर्ता द्वारा होमबेस्ड विजिट करना। स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करना जो कि स्वस्थ जीवन शैली पर ध्यान केंद्रित हो। गंभीर बीमारियों से ग्रसित वृद्धजनों को जिला अस्पताल के लिए रेफर करना।

3

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

हर सोमवार को प्रशिक्षित चिकित्सा अधिकारी द्वारा जेरिएट्रिक क्लिनिक संचालित करना।
वृद्धजनों को रूटीन हेल्थ चेकअप करना-नेत्र, बीपी, ब्लड शुगर आदि। संबंधित नैदानिक परीक्षा के आधार पर बुजुर्ग व्यक्तियों के नियमित स्वास्थ्य मूल्यांकन का संचालन करना और अपनी पहली यात्रा के दौरान मानक प्रारूप का उपयोग करते हुए बुजुर्गों का रिकार्ड बनाए रखना।
पुरानी बीमारियों पर दवाओं का प्रावधान और उचित सलाह देना।
विशेष रूप से स्वस्थ जीवन शैली पर ध्यान केद्रित करने, स्वास्थ्य और ग्राम स्वच्छता दिवस/शिविरों के दौरान परिवारों की देखभाल करने और स्वस्थ उम्र बढ़ने पर प्रचार, निवारक और पुनर्वास संबंधी पहलुओं पर सार्वजनिक जागरूकता।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र या जिला अस्पताल को आवष्यकता के अनुसार आगे की जांच और उपचार की आवष्यकता वाले रोगों के लिए रेफरल सुविधा प्रदान करना।

Consolidated No. of Facilities in the District Strengthened and Services Provided:

S. No.

Care Services provided

FY 2023-24 (Till December)

i

Number of Elderly persons attended OPD

3375224

ii

Number of Cases admitted in wards

227625

iii

Number of Persons given rehabilitation services

179173

iv

Number of Lab. tests performed on elderly

1511669

v

Number of Elderly screened & provided health card

294119

vi

Number of Elderly persons provided home based care

36169

vii

Number of Elderly provided supportive appliances.

32535

viii

Number of Cases referred

61156

ix

Number of cases died in Hospital

2411

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनएमएचपी)

Card image

वित्तीय वर्ष 2014-2015 में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार द्वारा एनआरएचएम की पीआईपी में राजस्थान के 13 जिलों में प्रारम्भ किया गया। वर्तमान में भारत सरकार द्वारा यह कार्यक्रम राजस्थान के सभी 33 जिलों में संचालित है।

लक्ष्य

1. मानसिक और तंत्रिका संबंधी विकारों और उनसे जुड़ी विकलांगताओं की रोकथाम और उपचार।

2. सामान्य स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए मानसिक स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी का उपयोग।

3. जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए संपूर्ण राष्ट्रीय विकास में मानसिक स्वास्थ्य सिद्धांतों का अनुप्रयोग।

उद्देश्य

1 . निकट भविष्य में सभी के लिए न्यूनतम मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की उपलब्धता और पहुंच सुनिश्चित करना

2. सामान्य स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक विकास में मानसिक स्वास्थ्य ज्ञान के अनुप्रयोग को प्रोत्साहित करना

3. मानसिक स्वास्थ्य सेवा विकास में सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना और समुदाय में स्वयं सहायता की दिशा में प्रयासों को प्रोत्साहित करना।

अवयव

1. मानसिक रूप से बीमार का इलाज.

2. पुनर्वास

3. सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य की रोकथाम एवं संवर्धन।

गतिविधियाँ

• ओपीडी और आईपीडी सेवाएं।

• चिकित्सा अधिकारियों और पैरा मेडिकल स्टाफ का प्रशिक्षण

• आउटरीच शिविर / लक्षित हस्तक्षेप शिविर।

• स्कूल गतिविधियाँ / कॉलेज गतिविधियाँ।

• आईईसी सामग्री का वितरण।

• राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण

• टेली-मानस

संगठनात्मक ढांचा

राज्य स्तरपर

पदनाम कार्यालय

ई-मेल

राज्य नोडल अधिकारी
एनएमएचपी
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम, चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग स्वास्थ्य भवन, तिलकमार्ग, राजस्थान, जयपुर nmhp pcj2020@gmail.com

जिलास्तरीय

क्रम संख्या

पद

1

जिला नोडल अधिकारी

2

क्लीनिकल सॉइकोजिस्ट

3

साईकेटिक सोशल वर्कर

4

साईकेटिक नर्स

5

कम्युनिटी नर्स

6

मॉनिटरिंग एवं इव्यूलेशन अधिकारी

7

केस रजिस्ट्री असिस्टेंट

8

वार्ड असिस्टेंट

9

कम्युनिटी मेंटल हैल्थ वर्कर

डीएमएचपी के स्वीकृत पद के विरूद्ध कार्यरत कार्मिक NMHP 2023-24

क्रम संख्या पद स्वीकृत कार्यरत रिक्त

1

जिला नोडल अधिकारी

33

31

2

2

क्लीनिकल सॉइकोजिस्ट

61

0

61

3

साईकेटिक सोशल वर्कर

33

0

33

4

साईकेटिक नर्स

33

16

17

5

कम्युनिटी नर्स

33

0

33

6

मॉनिटरिंग एवं इव्यूलेशन अधिकारी

33

0

33

7

केस रजिस्ट्री असिस्टेंट

33

14

19

8

वार्ड असिस्टेंट

33

12

21

9

कम्युनिटी मेंटल हैल्थ वर्कर

140

0

140

कुल

432

73

359

नोटः-जिला स्तर पर (वित्तीय वर्ष 2023-24) कार्यरत कुल मनोचिकित्सक 104

लक्ष्य एवं उपलब्धियाँ

प्रशिक्षण प्रगति

वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान जयपुर के द्वारा अप्रैल 2023 से दिसम्बर 2023 तक 9 बैचों के अन्तर्गत 211 चिकित्सकों को प्रशिक्षित किया जा चुका है साथ ही अप्रैल 2023 से दिसम्बर, 2023 तक जिलों में एएनएम 1441, जीएनएम 2039, आशा 4167 एवं अन्य पैरा मेडिकल स्टाफ 4020 को एक दिवसीय प्रशिक्षण कराकर कौशल उन्नयन किया जा चुका है।

ओ.पी.डी

कार्यक्रम के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2023-24 (दिसम्बर 2023 तक) में उपचारित किये गये मरीजों की संख्या निम्नानुसार है:-

Year

New OPD

Follow up

Total

अप्रैल 2023 से दिसम्बर 2023

212614

337647

550261

आउटरीच कैम्प (मानसिक रोगियों की पहचान हेतु शिविर)

एनएचएचपी कार्यकम के अन्तर्गत मनोचिकित्सकों / प्रशिक्षित चिकित्सा अधिकारियों द्वारा विद्यालयों/धार्मिक स्थलों/सामुदायिक स्थलों / मेलों आदि में आउटरीच कैम्प का सफल संचालन किया जा रहा है।

Year

Camp (Outreach)

Patients

Targeted Intervention Camps

Balgrah Visits

अप्रैल 2023 से 581 दिसम्बर 2023

581

10775

271

335

गत वर्षों का तुलनात्मक रिपोर्ट

वर्ष

2021-22

2022-23

2023-24
(अप्रैल 2023 से दिसम्बर 2023 तक)
कुल न्यू ओपीडी

209534

233649

212614

कुल फॉलोअप केसेज

288404

338639

337647

कुल आईपीडी

10028

12313

9240

कुल टारगेटेड इनटरवेंशन कैम्प

163

328

271

कुल आउटरीच कैम्प कंडकटेड

740

519

581

कुल मरीज एक्जामिंड इन आउटरीच कैम्पस

7486

9190

10775

एम ओ ट्रेनिंग

261

176

211

आईईसी

-- जिलों में विभिन्न आईईसी के माध्यमों से मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता एवं प्रचार प्रसार किया जा रहा है।

-- मानसिक रोगों व नशामुक्ति के लिए समस्त मेडिकल कॉलेज एवं जिला अस्पतालों में (10 IPD Bed) की सुविधा

वित्तीय प्रगति 2023-24

वित्तीय वर्ष

अनुमोदित आरओपी (रू लाखों में) व्यय (रू लाखों में)

2021-22

 372.70

188.85

2022-23

402.40

160.91

2023-24 (अप्रैल 2023 से दिसम्बर 2023 तक)

402.40

170.68

टेली-मानस

भारत सरकार ने गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य परामर्श और देखभाल सेवाओं तक पहुंच को ओर बेहतर बनाने के लिए 10 अक्टूबर, 2022 को राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया है। राज्य में दो टेली-मानस सेल क्रमशः जयपुर (1 मई, 2023) व जोधपुर (1 नवम्बर, 2023) में स्थापित की गई है, जिसका उद्देश्य समान, सुलभ, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य देखभाल तक सार्वभौमिक (Global) पहुंच प्रदान करना 

है। एनएमएचपी के डिजिटल घटक के रूप में 24X7 टेली मानसिक स्वास्थ्य परामर्श सेवाएं (हेल्पलाइन टोल फ्री नंबर 14416 और 1800-89-14416) पर उपलब्ध हैं।

टेली-मानस जयपुर राजस्थान कार्यक्रम के अन्तर्गत कुल राशि रूपये 203.83 लाख प्राप्त हुए एवं इसके विरूद्ध राशि रूपये 54.99 लाख खर्च किया जा चुका है।

टेली-मानस सेल जयपुर में प्राप्त कॉल
वित्तीय वर्ष 2023-24

अवधि कुल प्राप्त कॉल्स उपयोगकर्ता कॉल्स कुल कॉल्स
मई 2023 से दिसम्बर, 2023 तक

6601

1451

8052

टेली-मानस सेल जोधपुर में प्राप्त कॉल
वित्तीय वर्ष 2023-24

मासिक प्रगति रिपोर्ट कुल प्राप्त कॉल्स उपयोगकर्ता कॉल्स कुल कॉल्स
1 नवम्बर 2023 से 31 दिसम्बर, 2023

-

-

1619

• राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण (एसएमएचए) का गठन और अधिसूचित किया गया है, मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम, (एमएचसीए), 2017 के अनुसार एसएमएचए में शेष गैर-आधिकारिक सदस्यों के संबंध में विज्ञापन प्रकाशित किया गया है।

आगामी कार्य योजना

1. मानसिक स्वास्थ्य प्रतिष्ठानों का अंतरिम पंजीकरण।

2. राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण नियम, विनियम और जिला मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड नियम बनाना और कार्यान्वयन।

3. टेली-मानस टोल फ्री हेल्प लाइन नंबर 14416 और 18008914416 का व्यापक प्रचार।

4. नौ चिन्हित जिलों में Addiction Treatment Facility की स्थापना।

5. डीएमएचपी गतिविधियों का प्रभावी कार्यान्वयन।

6. राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम में रिक्त पदों की भर्ती

राष्ट्रीय बहरापन नियंत्रण एवं रोकथाम कार्यक्रम (एन.पी.पी.सी.डी.)

Card image

राष्ट्रीय बहरापन नियंत्रण एवं रोकथाम कार्यक्रम वर्ष 2014-2015 में राजस्थान के 12 जिलों में प्रारम्भ हुआ। वर्ष 2016-2017 में भारत सरकार द्वारा कार्यक्रम को संचालित करने के लिए अन्य 6 जिलों के लिए स्वीकृति प्रदान की गयी है। वर्ष 2018-2019 में 3 नये जिलों की स्वीकृति प्राप्त हुई है तथा वर्ष 2020-21 में भारत सरकार द्वारा कार्यक्रम को संचालित करने के लिए राजस्थान के शेष सभी जिलों की स्वीकृति प्रदान की गई है।

उद्देश्य -

1. बीमारी अथवा चोट के कारण होने वाली श्रवण क्षमता की कमी की रोकथाम।

2. श्रवण क्षमता को कम करने वाली कान की समस्याओं की शीघ्र पहचान एवं उपचार करना।

3. बहरापन से पीड़ित समस्त लोगो का पुर्नवास ।

4. यंत्र सामग्री एवं ट्रेनिंग देकर संस्थागत क्षमता का विकास।

भौतिक प्रगति

1. राज्य में सरकारी अस्पतालों में कार्यरत ईएनटी सर्जन के साथ एनपीपीसीडी कार्मिको को कार्य करने हेतु निर्देशित किया गया है।

2. एनपीपीसीडी कार्मिको द्वारा ओपीडी में सेवायें, ऑडियोमैट्री, स्पीच थैरेपी आदि ईएनटी सर्जन एव ऑडियोलॉजिस्ट द्वारा प्रदान की जा रही है।

3. कार्यक्रम को राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम एवं राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के साथ भी कार्य करने हेतु निर्देशित किया जा चुका है।

4. राज्य में कार्यरत शिशु रोग विशेषज्ञ, स्त्री रोग विशेषज्ञ, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर कार्यरत चिकित्सा अधिकारियों को एनपीपीसीडी कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रशिक्षण प्रदान किया गया हैं।

5. वर्ष 2018-2019 में जिलों में Hearing Aids का वितरण प्रारम्भ किया गया है।

कार्यक्रम के अन्तर्गत ओपीडी सेवाओं व विभिन्न कैम्प्स की वर्षवार भौतिक रिपोर्ट निम्नानुसार है :-

वर्ष

आयोजित स्क्रीनिंग कैम्प्स की संख्या

कैम्पस में स्क्रीनिंग हुये मरीजों की संख्या

ओपीडी में स्क्रीनिंग हुये मरीजों की संख्या

2020-2021

108

4938

146870

2021-2022

202

4130

219319

2022-2023

364

5717

311362

2023-2024
(माह दिसम्बर, 2023 तक)

186

3382

195705

हियरिंग मोर्बिडीटिज Hearing Morbidities

भोर्विवीटीज (Morbidities) मरीजों की संख्या वर्ष 2023-24 (माह दिसम्बर, 2023 तक)

Deafness

9550

CSOM

25200

ASOM

23700

Secretory OM

17291

Wax

42483

Ear Trauma

1842

Speech Problems

2945

Surgery

 898

Hearing aid fitted

726

rehabilitation

1045

Any other

23432

राष्ट्रीय मुख स्वास्थ्य कार्यक्रम (एन.ओ.एच.पी.)

Card image

भारत सरकार द्वारा प्रथम चरण में राजस्थान राज्य के 01 जिले हनुमानगढ़ में राष्ट्रीय मुख स्वास्थ्य कार्यक्रम वित्तीय वर्ष 2014-2015 में शुरू किया गया एवं वित्तीय वर्ष 2015-2016 में नये 02 जिलों टोंक व झालावाड में यह कार्यक्रम शुरू किया गया तथा वित्तीय वर्ष 2016-2017 में स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार से प्राप्त स्वीकृत कार्य योजना में शेष 30 जिलों में भी यह कार्यक्रम संचालित करने की स्वीकृति प्रदान की गई है। वर्तमान में यह कार्यक्रम राज्य के समस्त जिलों में सुचारू रूप से संचालित किया जा रहा है।

उद्देश्य

• मुख स्वास्थ्य के निर्धारको में सुधार जैसे कि स्वस्थ आहार, मुख स्वच्छता सुधार आदि और 86 प्रतिशत ग्रामीण व शहरी आबादी में मुख स्वास्थ्य की सेवाओं में उपलब्ध असमानता को कम करने के लिये।

• मुख रोगों से रूग्णता कम करने के लिये (उप जिला व जिला अस्पताल के साथ मुख स्वास्थ्य सेवा को मजबूत बनाना)

नियुक्ति अनुबंध के आधार पर

क्र.स. पद का नाम संख्या बेसिक मानदेय

1

राज्य सलाहकार

01

40,000/-

2

डेंटल हाईजीनिस्ट

26

20,000/-

3

डेंटल असिस्टेंट

33

10,000/-

कुल

60

 

भौतिक प्रगति

• कार्मिकों के प्रशिक्षण पश्चात् कार्यक्रम संचालित जिलों में जनसंख्या का रैण्डम आधारित (अनुमानित 5 प्रतिशत) सर्वे किया जा रहा है।

• कार्यक्रम के अंतर्गत जिलो में शिविरों का आयोजन कर मरीजों को सेवायें व आईईसी गतिविधियां संचालित की जा रही है।

• कार्यक्रम संचालित जिलों में माह में दो दिवस पहले व चौथे शुक्रवार को जिला अस्पताल एनओएचपी क्लिनिक में, कार्मिकों द्वारा मरीजों को ओपीडी सेवाओं के साथ मुख रोगों से बचने के उपाय व सही ब्रशींग का तरीका समझाया जा रहा है।

• कार्यक्रम को राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के साथ 12 कैम्प एवं राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के साथ 8 कैम्प मासिक करने हेतु निर्देशित किया जा चुका है।

भौतिक रिपोर्ट

वित्तीय वर्ष

कैम्प / ओपीडी

लाभान्वित 

कुल 

पुरुष 

महिला 

2020-2021

कैम्प 

4430

4270

8700

ओपीडी

340093

335426

675519

2021-2022

कैम्प 

28598

27024

55622

ओपीडी

502117

486148

988265

2022-2023

कैम्प 

88644

89381

178025

ओपीडी

762236

744880

1507116

2023-2024
(माह दिसम्बर 2023 तक)

कैम्प 

74581

74474

149055

ओपीडी

633662

637018

1270680

वित्तीय प्रगति (राशि रूपये लाखों में)

वित्तीय वर्ष स्वीकृत राशि (भारत सरकार) भारत सरकार से प्राप्त राशि राज्य अंश कुल राशि व्यय राशि

2020-2021

191-54

 

 

 

134-53

2021-2022

268-53

 

 

 

190-46

2022-2023

429-30

 

 

 

92-67

2023-2024
(माह दिसम्बर, 23 तक)

429-30

 

 

 

58-00

राष्ट्रीय फ्लोरोसिस नियंत्रण एवं रोकथाम कार्यक्रम (एनपीपीसीएफ)

Card image

पीने के पानी में 1 पीपीएम से ज्यादा फ्लोराइड का लगातार सेवन करने से व फ्लोराइड युक्त पदार्थो का अधिक मात्रा में लगातार सेवन करने से दांत हड्‌डी व अन्य अंगो में विकार उत्पन्न होने को फ्लोरोसिस कहते है। फ्लोरोसिस

तीन प्रकार का होता है 1. दन्त फ्लोरोसिस 2. अस्थि फ्लोरोसिस 3. गैर अस्थि फ्लोरोसिस

कार्यक्रम के उद्देश्य

1. कम्यूनिटी सर्वे - प्रभावित इलाकों का डोर टू डोर सर्वे कर फ्लोरोसिस से ग्रसित मरीजों का डाटा कलेक्शन करना।

2. स्कूल सर्वे - स्कूलों में विद्यार्थियों का सर्वे कर पलोरोसिस ग्रसित बच्चों का डाटा कलेक्शन करना।

3. अन्तर्विभागीय समन्वय - नियंत्रण एवं रोकथाम के लिए जलदाय एवं अन्य सम्बन्धित विभागों से समन्वय कर पलोराइड से रहित पानी उपलब्ध करवाने के लिये आर० ओ० की व्यवस्था करवाने की राय देना।

4. फ्लोरोसिस कैसेज की रोकथाम, निदान एवं उपचार के लिए आवश्यकतानुसार चिकित्सा संस्था (पीएचसी / सीएचसी/सेटेलाईट अस्पताल/जिला अस्पताल / मेडिकल कॉलेज) पर रेफर करना।

राजस्थान में वर्तमान परिदृश्य

जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार की रिपोर्ट दिनांक 1.4.2023 के अनुसार सम्पूर्ण भारत में फ्लोराइड से प्रभावित कुल 393 क्षेत्रों में से 113 राजस्थान में है।

राष्ट्रीय फ्लोरोसिस रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम (एनपीपीसीएफ) राज्य के 30 जिलों में संचालित किया जा रहा है। एनपीपीसीएफ कार्यक्रम में प्रत्येक जिले में एक फ्लोरोसिस रोकथाम एव नियंत्रण प्रकोष्ट का संचालन किया जा रहा है। जिसके द्वारा प्रभावित इलाको का सर्वे कर पीने के पानी व संभावित मरीजों का मूत्र सेम्पल एकत्रित किया जाता है एवं लैब टेक्निशीयन द्वारा एकत्रित किये गये पानी व मूत्र के सेम्पल की जांच की जाती है।

कार्यक्रम की गतिविधियां

1. प्रभावित इलाकों में आई.ई.सी. के द्वारा जन जागरूकता।

2. प्रभावित इलाकों में वर्षा का जल संचय (वॉटर हार्वेस्टिंग स्ट्रेक्चर) विकसित करने के लिये लोगों को प्रेरित करना।

3. पीएचईडी व अन्य सम्बन्धित विभागों से तालमेल कर फ्लोराईड रहित पानी उपलब्ध करवाने हेतु कार्यवाही करवाना।

4. अत्यधिक प्रभावित व्यक्तियों की निःशुल्क जाँच व उपचार करना।

कार्यक्रम की प्रगति

कार्यक्रम के अंतर्गत वर्ष 2023-24 में दिसम्बर तक 21317 सभावित फ्लोरोसिस रोगियों को चिन्हित किया गया है। कुल 3379 पेयजल के नमूनों तथा कुल 4963 मरीजों के यूरीन की जांच की गयी। कुल 5058 रोगियों को प्राथमिक उपचार व दवा वितरण किया गया।

वित्तीय प्रगति

कार्यक्रम के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2023-24 में स्वीकृत राशि रूपयें 90.00 लाख मे राशि रूपये 51.51 लाख का उपयोग कर लिया गया है।

भ्रमणशील शल्य चिकित्सा इकाई, राजस्थान, जयपुर

Card image

राजस्थान की 80 प्रतिशत जनता ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है एवं राजस्थान भौगोलिक दृष्टि से बहुत बड़ा राज्य है। यहाँ कहीं पठार तो कहीं मरूस्थल है, जिससे दुर्गम स्थान एवं अनभिज्ञता के कारण ग्रामीण क्षेत्र के लोग आज भी अपना इलाज कराने में असमर्थ है। इसी को दृष्टिगत रखते हुए राजस्थान सरकार ने 1956 में राजस्थान की ग्रामीण असहाय निर्धन जनता को उनके द्वार पर निःशुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से भ्रमणशील शल्य चिकित्सा इकाई की स्थापना की गई। यह इकाई एशिया की अपनी तरह की एक मात्र इकाई है। राज्य स्तरीय भ्रमणशील शल्य चिकित्सा इकाई 500 शैय्याओं का चलता फिरता "अ" श्रेणी के अस्पताल के रूप में कार्यरत है, जिसमें "अ" श्रेणी के अस्पताल की सभी सुविधाएँ व विशिष्ट सेवायें उपलब्ध है एवं आवश्यकता पड़ने पर इसे 1000 शैय्याओं एवं इससे अधिक भी बढ़ाने की क्षमता है। इकाई राजस्थान के दूर-दराज के आदिवासी/जनजाति पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के निःशुल्क चिकित्सा शिविर आयोजित कर रोगियों को चिकित्सा सुविधा उनके घर द्वार के समीप ही नियमित रूप से उपलब्ध कराती आ रही है।

इकाई का मुख्य उद्देश्य राजस्थान के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक से अधिक चिकित्सा शिविरों का आयोजन कर गरीब आदिवासी, जनजाति क्षेत्रों के असहाय रोगियों को निःशुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाकर उनका इलाज करना हैं। इकाई द्वारा आयोजित प्रत्येक चिकित्सा शिविर में पूर्ण रूप से निःशुल्क चिकित्सा सुविधा, आवास व रहने की तथा खाने पीने की व्यवस्था भी स्वंयसेवी संस्थाओं के माध्यम से निःशुल्क उपलब्ध करायी जाती है, क्योंकि चिकित्सा शिविरों का आयोजन स्थानीय स्वयसेवी संस्थाओ/एन.जी.ओ. के सहयोग से आयोजित किये जाते है। शल्य चिकित्सा शिविरो का आयोजन माह अगस्त/सितम्बर से आगामी वर्ष के माह मई तक किया जाता है। उक्त चिकित्सा शिविरों में प्रायः सभी प्रकार के ऑपरेशन किये जाते है जैसेः स्किन की गांठे, आँचल की गांठ, पेट के हर्निया एवं गांठें, एपेन्डिक्स हर्निया, पित्त की थैली (कोलिसिस्टेक्टोमी) गुर्दे की पथरी, पेशाब की थैली की पथरी वरिकोसील, यू.डी.टी स्त्री रोग में हिस्ट्रेक्टोमी डी०एन०सी० एवं बॉझपन का इलाज, नाक, कान, गला की मेजर शल्य चिकित्सा क्रियाएँ, आँखों में मोतियाबिन्द एवं लेन्स प्रत्यारोपण आदि शिविरों में की जाती है। हड्डी रोग व दन्त ऑपरेशन आदि किये जाते हैं। टी.बी अस्थमा, शिशु रोगियों की निःशुल्क चिकित्सा जॉच विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा की जाती है। अप्रेल से अगस्त तक दूरदराज के क्षेत्रों में ओ०पी०डी० शिविर लगाये जाते है। जिसमें अनुसूचित जाति, जनजाति, मरूस्थलीय क्षेत्रों में 40 प्रतिशत महिलायें लाभान्वित होती हैं।

नवीनतम कार्यक्रम जो वर्ष 2023-24 से प्रारम्भ किये गये हैं जो निम्नांनुसार हैं :-

शिविर अवधि के अलावा इकाई में राजकीय सैटेलाईट चिकित्सालय, एम.डी. रोड़, जयपुर में निःशुल्क ऑपरेशन, प्रसूति, मुख्यमंत्री निःशुल्क जॉच योजना, डॉट्स मरीजों को दिनांक 01.04.2023 से 31.12.2023 तक कुल 88 मरीजों को नियमित रूप से डॉट्स के तहत दवाइयों उपलब्ध कराई गई।

राज्यस्तरीय भ्रमणशील शल्य चिकित्सा इकाई, जयपुर द्वारा चिकित्सा शिविरों का आयोजन कर 137668 रोगियों की बहिरंग में चिकित्सा जाँच कर दिनांक 01.04.2023 से 31.12.2023 तक 1754 नेत्र ऑपरेशन व 290 शल्य ऑपरेशन किये गए।

इकाई के अधीन राजकीय सैटेलाईट चिकित्सालय में दिनांक 01.04.2023 से 31.12.2023 तक बहिरंग में 131439 रोगियों की जाँच कर 509 नेत्र ऑपरेशन व 493 शल्य ऑपरेशन किये गये।

इकाई में संचालित गतिविधियों हेतु दिसम्बर 2023 तक बजट आयोजना व आयोजना भिन्न (राज्य निधि) मदों में कुल आवंटित राशि 1822.93 लाख रूपये में से राशि रूपये 1471.23 लाख का व्यय किया गया है। राज्य आयोजना मद में कुल प्रावधान 531.58 लाख रूपये में से अनुसूचित जातियों के लिये विशिष्ठ संगठक योजना पर 181.89 लाख रूपये एवं अनुसूचित जनजाति उप योजना मद में 94.46 लाख रूपये व्यय किये गये है।

स्वीकृत व रिक्त पदों की स्थिति
भ्रमणशील शल्य चिकित्सा इकाई एवं राजकीय सैटेलाईट चिकित्सालय, जयपुर के पदों का विवरण स्वीकृत पदों की संख्या कार्यरत पदो की संख्या रिक्त पदों की संख्या

212

109

103

भ्रमणशील शल्य चिकित्सा इकाईयों की प्रगति वर्ष 2023-24 (31 दिसम्बर, 2023 तक)

क्र.सं. इकाईयों का नाम शिविर की संख्या आउटडोर नेत्र ऑपरेशन शल्य ऑपरेशन कुल ऑपरेशन

1.

भ्रमणशील शल्य चिकित्सा इकाई, राज० जयपुर (शिविर) जनरल-02
मिनी जन-04
वन्डे-0

6229

1754

290

2044

2.

सिटी अस्पताल भ्रमणशील शल्य चिकित्सा ईकाई, जयपुर

-

131439

509

493

1002

समेकित रोग निगरानी कार्यक्रम (आई.डी.एस.पी.) एवं स्वाईन फ्लू तथा कोविड-19

Card image

उद्देश्य

संचारी एवं गैर संचारी रोगों की नियमित निगरानी द्वारा वर्तमान में उपस्थित स्वास्थ्य परिसंकट पर नियन्त्रण किया जाना इसका मूलभूत उद्देश्य है। भारत सरकार द्वारा विकसित संचार तन्त्र (वर्तमान में IHIP Portal) के माध्यम से उप स्वास्थ्य केन्द्रों तक से रियल टाईम आंकड़ों का एकत्रीकरण किया जाना सुनिश्चित किया जाता है एवं राज्य, जिला स्तर पर जिला सर्वेलेन्स कमेटियों का गठन तथा उप स्वास्थ्य केन्द्र स्तर तक सर्वेलेन्स यूनिटों की स्थापना की गई हैं।

उपलब्धियां

राज्य, जिला स्तर पर किए गए वर्षवार प्रशिक्षणः-

प्रशिक्षण 

लक्ष्य 

उपलब्धि

वर्ष 

कोविड महामारी के कारण प्रशिक्षण नहीं हुए। (ऑन लाईन प्रशिक्षण करवाये गये)

-

-

2020

Online IHIP प्रशिक्षण उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (स्वा.) समस्त बीसीएमओ, डीपीएम, डीएनओ (एनएचएम), ऐपीडेमियोलोजिस्ट, डाटा मैनेजर, डाटा एन्ट्री ऑपरेटर एवं एएनएम

33 जिले

33 जिले

2021

Three days Hand on training for Microbiologist and LT

33 जिले

30 जिले

3x3 Epidemiology Workshop for Public Health Workforce for Dy. CMHO(H), SMO, MO, District Epidemiologist (IDSP) & District Microbiologist (IDSP)

16 जिले 

37

3x3 Epidemiology Workshop for Public Health Workforce for Dy. CMHO(H), SMO, MO, District Epidemiologist (IDSP) & District Microbiologist (IDSP)

17 जिले 

39

2022

IHIP Portal प्रशिक्षण, डाटा मैनेजर

26

22

IHIP Portal प्रशिक्षण, डाटा एण्ट्री ऑपरेटर

37

26

IHIP Portal प्रशिक्षण, चिकित्सा अधिकारी

68

58

IHIP Portal प्रशिक्षण, नर्स एवं फार्मासिस्ट

100

89

नर्स एवं फार्मासिस्ट

33 जिले

42

 

चिकित्सा अधिकारी

33 जिले

31

 

आईएचआईपी डाटा मैनेजर एवं डाटा एन्ट्री ऑपरेटर

62

58

2023

उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (स्वा.) ऐपीडेमियोलोजिस्ट एवं माइक्रोबाॅयोलोजिस्ट

71

66

नर्स एवं फार्मासिस्ट

33 जिले

75

चिकित्सा अधिकारी

33 जिले

30

आउटब्रेक

क्र.स. वर्ष कुल आउटब्रेक की संख्या

1

2020

03

2

2021

01

3

2022

21

4

2023 (दिसम्बर, 2023 तक)

16

संविदा आधारित स्वीकृत, कार्यरत एवं रिक्त पदों की संख्या

क्र.सं. पदनाम स्वीकृत पदों की संख्या कार्यरत पदों की संख्या रिक्त पदों की संख्या

1

ऐपीडेमियोलोजिस्ट

35

27

8

2

माइक्रोबाॅयोलोजिस्ट

15

11

4

3

एन्टामोलोजिस्ट

1

1

0

4

सलाहकार (वित्त)

1

1

0

5

डाटा मैनेजर

35

26

9

6

डाटा एन्ट्री ऑपरेटर

41

37

4

7

लैब टैक्नीशियन

11

1

10

8

लैब असिस्टेन्ट

1

1

0

9

लैब अटेण्डेन्ट

10

1

9

गतिविधियाँ

-- कोविड-19 महामारी की दैनिक रिपोर्टिंग एवं मॉनिटरिंग नियमित की जा रही हैं।

-- प्रति वर्ष जिला स्तरीय अधिकारियों ऐपीडेमियोलोजिस्ट, माईक्रोबायोलोजिस्ट, मेडिकल ऑफिसर, एलटी, एएनएम, आशा आदि को समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाता हैं।

-- राज्य एवं जिला स्तरीय रेपिड रेस्पोन्स टीमों का प्रशिक्षण एवं गठन किया गया है। जिले में आउटब्रेक की सूचना प्राप्त होते ही इन टीमों के द्वारा जांच एवं नियंत्रण की कार्यवाही की जाती है।

-- भारत सरकार द्वारा अनुमोदित IHIP पोर्टल में रियल टाईम सर्वेक्षण डाटा की नियमित मॉनिटरिंग एवं रिर्पोटिंग की जा रही हैं।

-- डिस्ट्रिक्ट पब्लिक हैल्थ लैब (डीपीएचएल) 11 जिला चिकित्सालयों यथा- अजमेर, झुन्झुनू, बाड़मेर, जैसलमेर, चुरू, सवाईमाधोपुर, धौलपुर, भरतपुर, टोंक, सीकर एंव नागौर में स्थित जिला प्रयोगशालाओं को प्राथमिकता के आधार पर चयन कर सुदृढीकरण किया गया है। सात मेडिकल कॉलेजों की प्रयोगशालाओं को भी रेफरल नेटवर्क के रूप में स्थापित किया गया है। अलवर, करौली, वित्तौडगढ़, दौसा, बून्दी, राजसमन्द, प्रतापगढ़, हनुमानगढ़, बांसवाडा, बारां, भीलवाड़ा, डूंगरपुर, पाली, जालोर, सिरोही एवं श्रीगंगानगर जिला चिकित्सालयों में स्थित 16 जिला प्रयोगशालाओं का सुदृढीकरण प्रक्रियाधीन हैं।

वित्तीय प्रगति (राशि रूपये लाखों में)

वित्तीय वर्ष स्वीकृति व्यय राशि

2020-2021

203.95

102.00

2021-2022

735.64

608.99 (एचआर सहित)

2022-2023

645.56

501.53

2023-2024
(दिसम्बर 2023 तक)

161.85

90.00

स्वाईन फ्लू - इन्फ्लूएन्जा ए (H1N1)

स्वाईन फ्लू रोग की रोकथाम हेतु चिकित्सा विभाग द्वारा निम्नानुसार कार्यवाही की जा रही है :-

• स्वाईन फ्लू रोग की रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु माननीय चिकित्सा मंत्री महोदय एवं प्रमुख शासन सचिव/शासन सचिव द्वारा समय-समय पर राज्य, सम्भाग एवं जिला स्तर पर समीक्षा बैठक आयोजित की गई है तथा ब्लॉक स्तर तक वीडियों क्रान्फ्रेसिंग के द्वारा समीक्षा की गई।

• स्वाईन फ्लू पॉजिटिव रोगी पाये जाने पर प्रभावित क्षेत्रों में तुरन्त रेपिड रेस्पोंस टीमो द्वारा स्क्रीनिंग करवाकर Influenza Like Iliness (1) लक्षण (तेज बुखार जुखाम, सिरदर्द, गले में खरास) वाले रोगियों का तुरन्त उपचार करवाया जा रहा है। गर्भवती महिलाओं एवं 5 वर्ष से छोटे बच्चों में सर्दी, जुखाम एवं बुखार के लक्षण पाये जाने पर तुरन्त टेमीफ्लू दवा दी जाती है।

• स्वाईन फ्लू के सभी मरीजों के इलाज के लिये प्रत्येक राजकीय मेडिकल कॉलेज स्तर पर एक Dedicated Medical Unit का गठन किया गया है। जिसमें Medicine, Anesthesia, Chest and TB के वरिष्ठ आचार्य के नैतृत्व में इन्ही विभागों के सह आचार्य एवं सहायक आचार्यों के द्वारा लगातार उपचार किया जाता है।

• स्वाईन फ्लू इलाज के लिए सभी चिकित्सालयों में अलग से आउट ढोर, जिला अस्पतालों व मेडिकल से सम्बद्ध अस्पतालों में अलग से आईसोलेशन वार्ड, आईसीयू एवं वेन्टीलेटर्स की व्यवस्था की गयी।

• राज्य में स्वाईन फ्लू की स्थिति को मद्देनजर रखते हुए जिलों को स्वाईन फ्लू की रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु समस्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों एवं प्रमुख चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिये जा चुके हैं। जिसके अन्तर्गत दया, वीटीएम, पीपीई, एन 95 मास्क, ट्रिपल लेयर मास्क, आईसोलेशन वार्ड, आईसीयू, सैम्पल कलेक्शन सुविधा, आरआरटी, कन्ट्रोल रूम, आईईसी एवं स्क्रीनिंग आदि की सुकिया हेतु पाबन्द किया गया।

• राजस्थान में जांच की सुविधा 11 प्रयोगशालाओं में उपलब्ध है. 7 मेडिकल कॉलेज (जयपुर, अजमेर, बीकानेर, कोटा, जोधपुर, उदयपुर एवं झालावाड) एवं डी. एम.आर.सी. (Desert Medicine Research centre) जोधपुर एवं तीन निजी लैब (डॉ लालपेच एसआरएल एवं बी लाल)।

• जिला अस्पतालों के चिकित्सकों को वेन्टीलेटरर्स को सुचारू रूप से चलाने हेतु प्रशिक्षण दिया जा चुका है।

• जिला प्रमुख विकित्सा अधिकारी को आरएमआरएस मद से वैक्सीन क्रय कर मेडिकल एवं पैरा मेडिकल स्टाफ को लगाये जाने हेतु निर्देश दिये गये तथा सैम्पल कलेक्शन हेतु आरएमआरएस मद से वीटीएम खरीद कर उपलब्धता सुनिश्चित करने बाबत् पाबन्द किया गया।

• जिला अस्पतालों के अप्रशिक्षित पेथोलॉजिस्ट एवं लैब टेक्नीशियन हेतु सैम्पल कलेक्शन एवं ट्रांसपोर्टेशनर्स को प्रशिक्षण उपलब्ध करवाया गया है।

• स्वाईन फ्लू के मरीजों के उपचार हेतु जिला अस्पतालों सब डिविजन अस्पतालों, सैटेलाइट अस्पतालों एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रो पर बेड मय आवश्यक उपकरण एवं स्टाफ आरक्षित कर आइसोलेशन वार्ड सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर तक स्थापित किये गये है।

• राज्य के सभी जिलो में 24x7 कन्ट्रोल रूम स्थापित कर दिये गये है। राज्य स्तर पर टोल फ्री नं. 104 एवं 0141-2225624 कार्यरत है।

राज्य में रोग की स्थिति

वर्ष 

कुल नमूने

पोजीटिव 

नेगेटिव

मृत्यु

2020

5436

116

5320

1

2021

170

20

150

1

2022

3304

365

2939

11

2023
(31 दिसम्बर तक)

5625

127

5498

0

कोरोना वायरस (COVID-19)

कोविड 19 विश्व महामारी ने सभी देशो को प्रभावित किया है और प्रतिदिन उसके प्रकोप के दुष्परिणाम सामने आ रहे है। सम्पूर्ण भारत व राजस्थान में इसका प्रकोप है। प्रदेश में कोविड-19 के सम्बन्ध में बचाव, नियंत्रण, प्रचार-प्रसार, जांच, उपचार, क्वारेनटाइन सेन्टर एवं आईसोलेशन वार्ड आदि के माध्यम से विभिन्न गतिविधियों निरंतर की जा रही है। राज्य में प्रथम कोरोना पॉजिटिव केस दिनांक 02.03.2020 इटली निवासी का जयपुर में पाया गया था। प्रदेश में कोविड 19 से सम्बन्धित वर्तमान स्थिति एवं की जा रही गतिविधिया निम्न प्रकार है-

वर्तमान स्थिति :-

केसेज :- दिनांक 31.12.2023 तक राज्य में कुल 1326530 COVID-19 पॉजिटिव पाये गये जिनमे से 9737 मृत्यु हुई है।

जांच सुविधा एवं परिणाम :- राज्य में 79 केन्द्रों पर कोरोना वायरस COVID-19 हेतु जॉच की सुविधा उपलब्ध है तथा अब तक 22103435 व्यक्तियों की जांच की गई, इनमें से कुल 1326530 पॉजिटिव पाये गये।

कान्टेक्ट ट्रेसिंग :- आज तक 1326530 पॉजिटिव पाये गये रोगियों के संपर्क में आये 19527428 व्यक्तियों की स्क्रीनिंग करते हुये लक्षणों के आधार पर 735287 सम्पर्क में आये व्यक्तियों के नमूने लिये गये।

अन्य विशेष :- जिला कलेक्टर को कोविड-19 हेतु जिले का नोडल अधिकारी बनाया गया है, राजस्थान एपिडेमिक एक्ट 1957 के अन्तर्गत कोविड-19 को नोटिफायबल रोगो की सूची में सम्मिलित किया गया है। समाचार पत्रो/फ्लैक्स/बेनर / पेम्प्लेट/रेडियो/सर्वे के दौरान व्यक्तिशः आदि माध्यमो से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है पोजिटिव केसेज क्षेत्र में कंटेन्मेट प्लान के अनुसार कार्यवाही की जा रही है।

राष्ट्रीय वायरल हैपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम

Card image

राष्ट्रीय वायरल हैपेटाईटिस नियंत्रण कार्यक्रम राज्य में वर्ष 2019 में प्रारम्भ किया गया।

कार्यक्रम के उद्देश्यः-

> वर्ष 2030 तक हैपेटाइटिस सी का उन्मूलन

> हैपेटाइटिस बी एवं सी होने वाली मृत्युओं एवं रोगों से होने वाली जोखिम जैसे लीवर कैंसर में कमी लाना

> हैपेटाइटिस ए एवं ई से होने वाली मृत्युओं, रोगों एवं जोखिम में कमी लाना

कार्यक्रम अंतर्गत अर्जित की गयी उपलब्धियाँ:-

• राज्य स्तर पर स्टेट वायरल हैपेटाईटिस नियंत्रण मेनेजमेन्ट यूनिट की स्थापना कर दी गयी है।

कार्यक्रम अंतर्गत हैपेटाइटिस जॉच एवं उपचार के लिये 04 मेडिकल कॉलेज जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, एवं अजमेर के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में स्टेट लैब तथा उक्त 04 मेडिकल कॉलेज सम्बद्ध अस्पताल के गैस्ट्रोएन्ट्रोलॉजी विभाग में मॉडल ट्रीटमेंट सेन्टर का संचालन किया जा रहा है।

• राज्य में 35 जिला अस्पतालों में ट्रीटमेंट सेन्टर का संचालन किया जा रहा है।

वर्ष 2023-24 की उपलब्धियाँ 

हेपेटाइटिस-बीः- एनवीएचसीपी अंतर्गत अप्रैल से दिसम्बर 2023 तक कुल 7.19 लाख रोगियों की हैपेटाइटिस बी की स्क्रिनिंग की गयी जिनमें 8826 हैपेटाइटिस बी पॉजिटिव रोगी पाये गये। जिनमे से 1094 रोगी वायरल लोड जॉच उपरान्त उपचार योग्य पाये गये। माह दिसम्बर, 2023 तक कुल 1602 हेपेटाइटिस बी रोगियों को उपचार पर रखा गया।

हेपेटाइटिस-सीः- एनवीएचसीपी अंतर्गत अप्रैल से दिसम्बर 2023 तक कुल 4.70 लाख रोगियों की हैपेटाइटिस सी की स्क्रिनिंग की गयी जिनमे 2459 हैपेटाइटिस सी पॉजिटिव रोगी पाये गये। जिनमे से 751 रोगी वायरल लोड जाँच उपरान्त उपचार योग्य पाये गये। माह दिसम्बर, 2023 तक कुल 755 हेपेटाइटिस सी रोगियों को उपचार पर रखा गया तथा 610 हेपेटाइटिस सी रोगियों का उपचार पूर्ण किया गया।

वित्तीय प्रगत्तिः- वित्तीय वर्ष 2023-24 में स्वीकृत कुल राशि रूपये 706.90 लाख में से 359.00 लाख का उपयोग कर लिया गया है।

कार्य योजनाः- 12 जनवरी, 2024 से 28 फरवरी, 2024 तक कुल 24781 जेल बंदियों, नारी निकेतन, किशोर गृह इत्यादि के आवासियों की हेपेटाइटिस बी एवं सी की जाँच का लक्ष्य निर्धारित किया गया है तथा साथ ही जाँच में पॉजेटिव पाए गए रोगियों को उपचार से जोड़ा जाएगा।

आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र

Card image

ग्रामीण क्षेत्र में गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराए जाने के उद्देश्य से 'आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र' योजना प्रारम्भ की गई है। राज्य में ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में से 891 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को विभिन्न चरणों में आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य के रूप में विकसित किया गया हैं। वर्तमान में 687 आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के रूप में कार्यरत हैं।

इन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर पर्याप्त स्टाफ, प्रसव हेतु आवश्यक उपकरण एवं औषधियों की उपलब्धता तथा आयुर्वेद चिकित्सक पदस्थापित कर योग सेवाएँ व आयुर्वेद पद्धति से उपचार करने की भी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है। इन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों का 15 अगस्त, 2016 को आदर्श पीएचसी एवं वेलनेस सेन्टर के रूप में शुभारम्भ किया गया है।

 

शुभारम्भ वर्ष आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की संख्या

Phase 1

15 अगस्त, 2016

295

Phase 2A

11 जुलाई, 2017

286

Phase 2B

7 अप्रेल, 2018

310

 

Total

891

Less

आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के रूप में क्रमोन्नत (सितम्बर, 2023 तक)

204

 

वर्तमान में संचालित आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र

687

आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रो पर उपचारित किये गये रोगियों, प्रसव प्रयोगशाला जाँच एवं स्टाफ की उपस्थिति की सूचना निम्नलिखित Software द्वारा प्रेषित की जा रही है। जिसकी समीक्षा राज्य व जिला स्तर पर की जा रही है।

S.No.

Software

Reports

1

PCTS

OPD And Delivery

2

e Aushdhi

Staff Attendence, MNJY Test, Drugs Availbility

3

Rajdhara

Visit Data of PHCs

प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों से ई औषधि सॉफ्टवेयर एवं पीसीटीएस द्वारा निम्न प्रकार से रिपोर्टिंग की जा रही है :-

• ई-औषधि सॉफ्टवेयर पर आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों द्वारा नियमित रूप से स्टाफ की उपस्थिति प्रेषित की जाती है, जिसका विश्लेषण कर स्टाफ की कमी की पूर्ति राज्य स्तर से की जाती है।

• ई-औषधि सॉफ्टवेयर पर निःशुल्क औषधियों एवं जाँच सुविधा की रिपोर्ट प्रेषित की जाती है, जिसका विश्लेषण कर नियमित जाँच सुविधा एवं औषधि की उपलब्धता सुनिश्चित की जाती है।

• पीसीटीएस सॉफ्टवेयर द्वारा आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों द्वारा आउटडोर एव प्रसव भार की सूचना प्रेषित की जाती है, जिसका प्रतिमाह अनुभाग द्वारा विश्लेषण किया जाता है।

• जिला व खण्ड अधिकारियों द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र व उप स्वास्थ्य केन्द्रों की निरीक्षण रिपोर्ट राजधारा एप्लीकेशन के द्वारा Online प्रेषित की जा रही है।

भौतिक उपलब्धियाँ

आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र लक्ष्य वर्ष 2023-24 (1 अप्रेल से 31, दिसम्बर, 2023 तक) उपलब्धि (1 अप्रैल से 31, दिसम्बर 2023 तक)

OPD

1,85,49,000

92,34,544

DELIVERY

1,85,490

51,206

दिनांक 08.01.2024 को पीसीटीएस सॉफ्टवेयर के आधार पर सभी आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर अप्रेल, 2021 से दिसम्बर, 2023 तक 3,42,49,378 करोड़ रोगियों को उपचारित किया गया एवं 2,48.037 लाख प्रसव कराये गये हैं।


वित्तीय प्रगति

Financial year

Original Received Amount

 
 

Budget Estimate

Revised Estimate
संशोधित अनुमान

Expenditure Amount Rupees in lakhs

2020-21

300

100

84.00 Lakh

2021-22

300

400

100% Sanctioned and Transferd to PD Account for 47 PHCs

2022-23

300

300

Transferd to PD Account for 50 PHCs

2023-24

300

300

(A&F issue) Transfer in PD A/C Sanction is under process

वित्तीय वर्ष 2023-24 में राशि रुपये 300.00 लाख का प्रावधान प्राप्त हुआ है, जिसकी प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी हो गई है, किन्तु राजस्थान स्टेट हैल्थ सोसायटी (RSHS) के पीडी खाते में जारी किये जाने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।


बजट घोषणा के अन्तर्गत लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय एवं उनकी आज दिनांक तक क्रियान्विति :-

• माननीय मुख्यमंत्री महोदय के द्वारा की गई बजट घोषणा वर्ष 2021-22 की अनुपालना में राज्य में 199 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों को आदर्श सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हेतु अनुमोदन किया गया है। बीकानेर पूर्व की माननीया विधायिका महोदया द्वारा आदर्श सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के लिए किसी भी स्वास्थ्य केन्द्र का चयन नहीं किया गया हैं।

• 199 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में से 33 स्वास्थ्य केन्द्र यूपीएचसी / यूसीएचसी / एसडीएच आदि होने के कारण इन्हे आदर्श सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के रूप में विकसित किये जाने का प्रावधान नहीं हैं। इस तरह वर्तमान में 166 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों को आदर्श सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के रूप में विकसित किया जाना हैं।

• 21 आदर्श सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों को विकसित करने हेतु विधायक कोष की राशि की स्वीकृति / अनुशंषा प्राप्त हुई है। शेष आदर्श सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों को विकसित करने हेतु निर्देशानुसार राज्य सरकार को बजट आवंटन हेतु पत्रावली प्रेषित की गई हैं।