दस्त
रोग क्यों होता है?
दस्त रोग नवजात एवं
5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मौत का एक प्रमुख कारण
है। विश्व में दस लाख बच्चे हर वर्ष दस्त रोग से
उत्पन्न निर्जलीकरण के कारण मौत का शिकार हो जाते
हैं। दस्त रोग से बार-बार प्रभावित होने वाले बच्चे
कुपोषित हो जाते हैं जिससे उनका शारीरिक विकास धीमा
हो जाता है। दस्त रोग कीटाणु या विषाणु से होने वाला
एक रोग है, जो प्रायः गंदगी जैसे गंदी बोतलों
या निप्पलों से बच्चे को दूध पिलाने, गंदे हाथो से
भोजन कराने, बिना ढका व बासी भोजन, दूषित पानी,
कटे-गले-सडे, फल आदि के सेवन से भी हो जाता है।
लक्षण:-
हर पतले दस्त के
साथ बच्चे के शरीर से बहुत पानी निकल जाता है इसी कारण
बच्चे को अधिक प्यास लगती है, कमजोरी महसूस
होती है व पेशाब में कमी हो जाती है। जीभ व मुंह में
खुश्की, त्वचा में ढीलापन, सॉंस व नाडी,
की गति सामान्य से तेज, तालू व ऑंखे धॅंसी सी लगती
है।
बचाव:-
दस्त रोग से बचाव सम्भव है
यदि:-
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छः
महीने की आयु तक शिशु को केवल मॉं का दूध ही दें।
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बच्चों
को साफ कटोरी, चम्मच से ही दूध पिलाऍं, बोतल से
नहीं।
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शौच
जाने के बाद, खाना पकाने, परोसने एवं खाने से पहले
अपने/ बच्चे के हाथ अच्छी तरह साबुन से धो लें।
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भोजन
को हमेशा ढककर रखें ताकि मक्खियां उस पर नहीं बैठ
सकें।
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सदैव
गहरे कुंए/ हैण्डपम्प व नल का पानी छान
कर पीने के काम में लें।
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घडे,
से पानी निकालते समय हत्थे वाले लोटे का प्रयोग
में लें।
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आस-पास
साफ सफाई रखें ताकि मक्खी मच्छर पैदा न हो।
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स्वयं
व बच्चों के नाखून नियमित रूप से काटकार साफ रखें
ताकि खाना खाते समय नाखूनों में जमा गन्दगी मुंह
द्वारा पेट में ना जा सकें।
उपचार:-
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घर में उपलब्ध तरल पदार्थ जैसे
दाल का पानी, शिकंजी, ताजा छाछ/लस्सी, चावल का माण्ड, राबडी, दूध, हल्की
चाय, जौ का उबला पानी आदि सामान्य से अधिक से अधिक मात्रा में थोडा-थोडा करके
बार-बार पिलाते रहे।
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शरीर में पानी व नमक की कमी को
दूर करने के लिए डबलू.एच. ओ. प्रमाणित जीवन रक्षक घोल ओ.आर.एस(ओरल
रीहाइड्रेशन सोल्यूशन) पिलाया जाना चाहिए। यह पैकेट के रूप में सभी सरकारी
अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रो, उप स्वास्थ्य केन्द्रो,
आंगनबाडी केन्द्रो में निःशुल्क उपलब्ध है। इस पैकेट के सारे पाउडर को एक
लीटर साफ पानी में डालकर अच्छी तरह घोलकर बच्चे को थोडी-थोडी देर में दस्त
रूकने तक पिलाते रहें बचे हुए घोल को ढक कर रखें एवं 6-8 घंटे तक ही उसे काम
में लेवे एवं उसके बाद ताजा घोल बनाएं।
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दस्त रोग में बच्चे की भूख कम
हो सकती है, इसलिए दस्त रोग के दौरान बच्चे को भोजन देते रहें दूध पीने वाले
बच्चों को स्तनपान कराते रहें।
यदि फिर भी दस्त नही रूके या
खतरे के निम्न लक्षण दिखें तो तुरन्त चिकित्सक/ स्वास्थ्य कार्यकर्ता से
सम्पर्क करें।
खतरे के लक्षण:-
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टटृटी में खून।
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प्यास
अधिक लगना।
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बार-बार
बहुत सी पतली टट्टियां , बार-बार उल्टियॉं।
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मुर्छा,
जागने में कठिनाई, बेसुध।
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पेय
प्रदार्थ न पी सकना या स्तनपान न करना।
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सांस
तेज चलना या सीना धॅंस जाना।
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खसरा
रोग होने के 6 सप्ताह के भीतर दस्त रोग का होना।
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